आज हम जानेंगे एनसीईआरटी सामाजिक विज्ञान भूगोल कक्षा 7 अध्याय 4 “वायु” के बारे में। यह पाठ “वायु” न सिर्फ सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए बल्कि शिक्षकों एवं प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। कई प्रश्न एनसीईआरटी कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 4 “वायु” से पूछे जाते हैं।https://www.drishtiias.com/hindi/mains-practice-question/question-2118
तो आइये इस पाठ को समझने का प्रयास करते हैं। अगर आप पहला पाठ, पर्यावरण दूसरा पाठ “हमारी पृथ्वी के अंदर” और तीसरा पाठ हमारी बदलती पृथ्वी भी पढ़ना चाहते हैं तो लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 4 “वायु”
वायु हमारी पृथ्वी के चारों और मौजूद है।
हमारी पृथ्वी गोल है और इसके चारों तरफ कई किलोमीटर मोटी परत वायु की है।
मान लो कि तुम एक खुले मैदान में अकेले खड़े हो।
तो तुम्हारे चारों तरफ क्या है ? हवा।
उसी प्रकार पृथ्वी भी आकाश में लटकी हुई है, और उसके चारो तरफ क्या है ? हवा।
मतलब, हमारी पृथ्वी चारों तरफ हवा से घिरी हुई है जिसे हम वायुमंडल कहते हैं।
यह वायुमंडल सिर्फ हमें सांस लेने में मदद नहीं करता, बल्कि सूर्य से आनेवाली हानिकारक किरणों को भी रोकता है।
अगर वायुमंडल न हो तो पृथ्वी दिन में इतनी गर्म हो जायेगी और रात को इतनी ठंडी हो जायेगी कि इसपर जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा।
कैसे? (इसके बारे में हम आगे पढ़ेंगे)
अर्थात यह वायु ही है जो पृथ्वी को हमारे रहने लायक बनाता है।
वायुमंडल का संगठन (बनावट):
वायुमंडल कई प्रकार की गैसों से बना है।
जब तुम सांस लेते हो तो कई गैस शरीर में प्रवेश करती है।
हमारा शरीर उसमें से ऑक्सीजन रख लेता है और बाकी गैसों को बाहर निकाल देता है।
वायु मंडल ९९% तो सिर्फ दो गैसों से ही बना है – नाइट्रोजन (७८%) और ऑक्सीजन (२१%)
बाकी बचा १% में कार्बन डाई ऑक्साइड, आर्गन, हीलियम, हाइड्रोजन, ओजोन आदि पाए जाते हैं।
क्या तुम्हे पता है नाइट्रोजन सबसे अधिक मात्रा में क्यों पायी जाती है।
इसका उपयोग पेड़-पौधे करते हैं।
क्या पेड़ पौधे नाइट्रोजन लेते हैं?
नहीं, पेड़ पौधे सीधे नाइट्रोजन नहीं लेते हैं।
मिटटी तथा पेड़ की जड़ों में पाए जाने वाले जीव-जंतु उसका स्वरुप बदल देते हैं जिसका उपयोग पेड़ पौधे करते हैं।
कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 वायु
http://https://www.youtube.com/watch?v=AOyP8Mb6QHE
वायुमंडल की संरचना
वायुमंडल भी पांच परतों में विभाजित है।
जिस प्रकार ठण्ड में हमारा शरीर कपड़ों की कई परतों (गंजी, शर्ट, हाफ स्वेटर, जैकेट, शाल इत्यादि) से ढका रहता है,
ठीक उसी प्रकार वायुमंडल भी कई परतों से बना है।
ये हैं क्षोभमंडल, समतापमंडल, मध्यमंडल, बाह्यमंडल, एवं बहिर्मंडल।
क्षोभमंडल
यह परत वायु-मंडल की सबसे निचली और महत्वपूर्ण परत है।
यह भूमध्यरेखा से लगभग १५ km और उत्तरी-दक्षिणी ध्रुव से १० km ऊँचाई तक है।
हमलोग इसी परत में रहते और सांस लेते हैं।
सभी प्रकार की मौसमी गतिविधियां (आंधी, वर्षा कोहरा, ओलावृष्टि) इसी परत में होती हैं।
समतापमंडल
मध्यमंडल
अंतरिक्ष से आनेवाले उल्का पिंड जब तेज़ गति से इस परत में प्रवेश करते हैं तो वायु के साथ घर्षण के कारण जल जाते हैं।
ये ही कभी-कभी हमें टूटा हुआ तारा के रूप में दिखाई देते है।
भारत की कल्पना चावला का स्पेस शटल भी इसी में प्रवेश करते ही जल गया था जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी।
बाह्यमंडल
बाह्यमंडल की ऊँचाई पृथ्वी से ८० km से ४०० km तक है।
जैसे जैसे हम इस परत में ऊपर जाते हैं, तापमान तेज़ी से बढ़ने लगता है।
इसी परत में आयन की भी एक पतली सी परत होती है।
पृथ्वी से जो रेडियो सिग्नल हम ऊपर भेजते हैं, वो इसी परत तक जाती है और परावर्तित होकर वापस पृथ्वी पे आती है।
रेडियो, टी.वी या मोबाइल में सिग्नल इसी परत से आता है।
बहिर्मंडल
वायुमंडल की सबसे ऊपरी और बाहरी परत को बहिर्मंडल कहते हैं।
वायुमंडल की सबसे हलकी गैस जैसे हीलियम और हाइड्रोजन इस परत में पायी जाती है।
मौसम एवं जलवायु (कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 “वायु”)
कई बार ऐसा होता है कि शहर के एक हिस्से में वर्षा होती है और दूसरे हिस्से में धूप निकली हुई होती है।
यानि एक तरफ का मौसम साफ़ और दूसरे तरफ का मौसम गीला।
थोड़ी देर बाद वर्षा रुक जाती है और धूप निकल आती है।
दिन भर की गर्मी के बाद शाम को अच्छी हवा चलने लगती है और मौसम सुहाना हो जाता है।
अर्थात
- मौसम वह है जो मिनट मिनट में बदल सकता है।
- यह छोटे क्षेत्र के लिए होता है और
- इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
वहीँ दूसरी तरफ लम्बे समय तक का औसत मौसम, उस स्थान की जलवायु बताता है।
जैसे उदाहरण के लिए, भूमध्य रेखा और उसके आस-पास साल के लम्बे समय तक गर्मी रहती है।
उसी प्रकार ध्रुवों पर साल के अधिकांश समय ठण्ड पड़ती है।
इसे ही जलवायु कहते हैं। अर्थात,
- जलवायु लम्बे समय और बड़े क्षेत्र के लिए होता है।
- इसकी भविष्यवाणी भी आसानी से की जा सकती है।
उदाहरण के लिए, कोई भी अपने घर में बैठा-बैठा ये बता सकता है कि अभी उतरी ध्रुव पे ठण्ड होगी।
तापमान
वायुमंडल के तापमान का सीधा सा अर्थ है वायु का तापमान।
वायु में मौजूद ताप और शीतलता के परिमाण (AVERAGE) को तापमान कहते हैं।
जैसे अगर आज का अधिकतम तापमान है ३० डिग्री और न्यूनतम तापमान है १२ डिग्री तो इसका परिमाण (mean ) होगा
३०+१२=४२,
४२/२ = २१ डिग्री।
परिमाण निकालने का सूत्र है अधिकतम + न्यूनतम तापमान बटे २
क्या तुम्हे पता है कि वायुमंडल कैसे गर्म या ठंडी होती है ?
कई लोग इसके लिए सूर्य को जिम्मेदार मानेंगे ?
मगर सूर्य निर्दोष है।
अगर सूर्य ज़िम्मेदार होता, तो दिन का अधिकतम तापमान दोपहर १२ बजे होता क्योंकि सूर्य उस वक़्त ठीक हमारे सर पे होता है और उस वक़्त किरणे सीधी पड़ती हैं ।
लेकिन अधिकतम तापमान २;३० से ३;३० के बीच होता है।
इसके लिए ज़िम्मेदार है आतपन।
आतपन
ये बात सच है कि पृथ्वी सूर्य की गर्मी से ही गर्म होती है।
लेकिन ये भी सच्चाई है कि पृथ्वी सूर्य की पूरी गर्मी प्रतिदिन वापस भी लौटा देती है।
सूर्यास्त होने के बाद भी पृथ्वी, सूर्य की गर्मी को धीरे-धीरे वापस लौटाती रहती है।
रात १० बजे, १२ बजे, २ बजे, ४बजे सुबह ५ बजते-बजते पृथ्वी सूर्य की पूरी गर्मी वापस लौटा देती है।
इस वक़्त धरती ठंडी हो जाती है।
इससे सटी हुई इसके ऊपर की हवा भी ठंडी हो जाती है।
इसके कारण हमे रात के १२ बजे नहीं, वर्ना सुबह-सुबह ठण्ड लगने लगती है।
सूर्य की गर्मी को पृथ्वी द्वारा सोखने की क्रिया को आतपन कहते हैं।
अब भूमध्य रेखा और उसके आस-पास जहाँ पर तेज धूप पड़ेगी वहां पृथ्वी ज्यादा तापमान सोखेगी और उसे लौटने में भी ज्यादा वक़्त लगाएगी।
इसलिए ध्रुवों पर ठण्ड होती है।
क्या अब तुम बता सकते हो कि दिन का अधिकतम और न्यूनतम तापमान कितने बजे होता होगा ?
ग्रीनहाउस किसे कहते हैं ?
ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है ?
- ग्रीनहाउस प्रभाव एक प्राकृतिक घटना है, जो पृथ्वी की सतह को गर्म बनाये रखने में मदद करती है।
- इसी कारण पृथ्वी न तो अधिक ठंडी होती है न अत्यधिक गर्म।
- जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन संभव है।
- ग्रीनहाउस में सूर्य की ओर से आने वाली ऊर्जा प्रकाश के रूप में वायुमंडल को पार करके पृथ्वी तक आती है।
- इस आने वाली ऊर्जा का कुछ भाग मिट्टी, पेड़ पौधों और अन्य साधनों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।
- इस अवशोषित ऊर्जा का अधिक्तर भाग ऊष्मा में परिवर्तित हो जाता है, जो पृथ्वी को गर्म रखता है।
- जब प्रदूषण के कारण कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा वायुमंडल में बढ़ जाती है तो वह ज्यादा गर्मी को अवशोषित करने लगता है। इसी की वजह से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। अंटार्टिका में बर्फ के पिघलने की वजह भी यही है। इसे ही हम ग्रीनहाउस या हरित गृह प्रभाव कहते हैं।
वायु दाब
पवन (कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 वायु)
स्थाई पवने
उत्तर-पूर्वी और दक्षिण पूर्वी व्यापारिक पवने
इसकी वजह से ये क्षेत्र बहुत गर्म हो जाता है।
इस क्षेत्र को ही हम डोलड्रम के नाम से भी जानते हैं। (0 डिग्री से ५ या 10डिग्री तक)
सनातन पछुआ पवनें
भूमध्यरेखा से उठने वाली पवनें ठंडी और भारी होकर ३०-३५ डिग्री के पास उतरती हैं।
प्राचीन काल में जब घोड़े से लदे हुए जहाज़ इस पेटी में प्रवेश करते थे तो उच्च वायुदाब के कारण जहाज़ डगमनाने
और डूबने लगता था। ऐसे में व्यापारियों को जहाज़ को हल्का करने के लिए घोड़ों को समुद्र में फेंकना पड़ता था।
इसी वजह से इस पेटी को अश्व अक्षांश खा जाने लगा।
नीचे उतरने के बाद ये पवनें दो हिस्सों में बँट जाती हैं।
एक हिस्सा भूमध्यरेखा की और मुड़ जाती है और दूसरी कोरिओलिस फाॅर्स के कारण ४५-६० डिग्री की और।
इन्हीं पवनों को सनातन पछुआ पवनें कहते हैं।
ध्रुवीय पूर्वी पवनें
ठंडी हवा भरी होती है एयर सतह के आस-पास होती है।
६६ १/२ डिग्री पर जो हवा होती है वो ९० डिग्री की अपेक्षा थोड़ी कम ठंडी होगी।
अर्थात अगर हम दोनों हवा की तुलना करें तो हम ये कह सकते हैं कि ९० डिग्री पर पायी जानेवाली हवा ठंडी और
६६ १/२ डिग्री पर पाये जाने वाली हवा गर्म होती है।
हो गया तापमान में अंतर। तो जमन की हवा गर्म है वो ऊपर उठेगी और उसे भरने के लिए ध्रुवों पर से हवा चलेगी।
इसे ही ध्रुवीय पूर्वी पवनें कहते हैं।
मौसमी पवनें
स्थानीय पवनें
आद्रता
निष्कर्ष:
कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 4 “वायु” सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए एक कठिन पाठ है।
इस पाठ में ऐसी-ऐसी बातें लिखी हुई हैं जो जानना आवश्यक है।
यही कारण है कि प्रतियोगिता परीक्षाओं में इस पाठ से बहुत सारे प्रश्न पूछे जाते हैं।
अगर कक्षा 7 के भूगोल का अध्याय ४ “वायु” की व्याख्या को पहले ध्यान से पढ़ें, उसके बाद ही इस पाठ का प्रश्नोत्तर करें।
प्रश्नोत्तर को भी कॉपी करने से बेहतर होगा कि उसे समझ कर अपने शब्दों में लिखने का प्रयास करें।
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जैसे डोलड्रम, अश्व अक्षांश, हवाई जहाज़ संताप मंडल में क्यों उड़ता है, ऊटी जो कि भूमध्यरेखा के नज़दीक है और दिल्ली दूर।
फिर भी ऊटी में ठण्ड क्यों पड़ती है ? आतपन किसे कहते हैं ?
शहरों की अपेक्षे गाँव ज्यादा ठंडा क्यों होता है इत्यादि।
सभी पाठकों के लिए एक प्रश्न:
माउंट एवरेस्ट समुद्र तल से लगभग 9 km ऊंचा है। सूर्य की सीधी किरणे भी उसपे बेरोकटोक पड़ती हैं इसके बावजूद हिमालय की यह चोटी हमेशा बर्फ से ढकी रहती है। क्यों ?
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