एनसीईआरटी कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 4 “वायु”

कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 "वायु"

Written By Avinash Sharan

19th May 2021

आज हम जानेंगे एनसीईआरटी सामाजिक विज्ञान भूगोल कक्षा 7 अध्याय 4 “वायु”  के बारे में। यह पाठ “वायु” न सिर्फ सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए बल्कि शिक्षकों एवं  प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।  कई प्रश्न एनसीईआरटी कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 4 “वायु”  से पूछे जाते हैं।https://www.drishtiias.com/hindi/mains-practice-question/question-2118

तो आइये इस पाठ को समझने का प्रयास करते हैं। अगर आप पहला पाठ,  पर्यावरण  दूसरा पाठ  “हमारी पृथ्वी के अंदर”  और तीसरा पाठ  हमारी बदलती पृथ्वी भी पढ़ना चाहते हैं तो लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 4 “वायु”

 

वायु हमारी पृथ्वी के चारों और मौजूद है।

हमारी पृथ्वी गोल है और इसके चारों तरफ कई किलोमीटर मोटी परत वायु की है।

मान लो कि तुम एक खुले मैदान में अकेले खड़े हो।

तो तुम्हारे चारों तरफ क्या है ? हवा।

उसी प्रकार पृथ्वी भी आकाश में लटकी हुई है, और उसके चारो तरफ क्या है ? हवा।

मतलब, हमारी पृथ्वी चारों तरफ हवा से घिरी हुई है जिसे हम वायुमंडल कहते हैं।

यह वायुमंडल सिर्फ हमें सांस लेने में मदद नहीं करता, बल्कि सूर्य से आनेवाली हानिकारक किरणों को भी रोकता है।

अगर वायुमंडल न हो तो पृथ्वी दिन में इतनी गर्म हो जायेगी और रात को इतनी ठंडी हो जायेगी कि इसपर जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा।

कैसे? (इसके बारे में हम आगे पढ़ेंगे)

अर्थात यह वायु ही है जो पृथ्वी को हमारे रहने लायक बनाता है।

वायुमंडल का संगठन (बनावट):

वायुमंडल कई प्रकार की गैसों से बना है।

जब तुम सांस लेते हो तो कई गैस  शरीर में प्रवेश करती है।

हमारा शरीर उसमें से ऑक्सीजन रख लेता है और बाकी गैसों को बाहर निकाल देता है।

वायु मंडल ९९% तो सिर्फ दो गैसों से ही बना है – नाइट्रोजन (७८%) और ऑक्सीजन (२१%)

बाकी बचा १% में कार्बन डाई ऑक्साइड, आर्गन, हीलियम, हाइड्रोजन, ओजोन आदि पाए जाते हैं।

क्या तुम्हे पता है नाइट्रोजन सबसे अधिक मात्रा में क्यों पायी जाती है।

इसका उपयोग पेड़-पौधे करते हैं।

क्या पेड़ पौधे नाइट्रोजन लेते हैं?

नहीं, पेड़ पौधे सीधे नाइट्रोजन नहीं लेते हैं।

मिटटी तथा पेड़ की जड़ों में पाए जाने वाले जीव-जंतु  उसका स्वरुप बदल देते हैं जिसका उपयोग पेड़ पौधे करते हैं।

कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 वायु

http://https://www.youtube.com/watch?v=AOyP8Mb6QHE

वायुमंडल की संरचना

वायुमंडल भी पांच परतों में विभाजित है।

जिस प्रकार ठण्ड में हमारा शरीर कपड़ों की कई परतों (गंजी, शर्ट, हाफ स्वेटर, जैकेट, शाल इत्यादि) से ढका रहता है,

ठीक उसी प्रकार वायुमंडल भी कई परतों से बना है।

ये हैं क्षोभमंडल, समतापमंडल, मध्यमंडल, बाह्यमंडल, एवं बहिर्मंडल।

क्षोभमंडल

यह परत वायु-मंडल की सबसे निचली और महत्वपूर्ण परत है।

यह भूमध्यरेखा से लगभग १५ km और उत्तरी-दक्षिणी ध्रुव से १० km ऊँचाई तक है।

हमलोग इसी परत में रहते और सांस लेते हैं।

सभी प्रकार की मौसमी गतिविधियां (आंधी, वर्षा कोहरा, ओलावृष्टि)  इसी परत में होती हैं।

समतापमंडल

क्षोभमंडल के ऊपर समतापमंडल की सीमा आरम्भ होती है।
पृथ्वी से इसकी ऊँचाई लगभग ५० km  तक की है।
न तो यहाँ आंधी तूफ़ान आता है और न ही वर्षा होती है इसलिए हवाई-जहाज इसी परत में उड़ता है।
जहाँ ये परत समाप्त होती है वहां बॉर्डर पर एक पतली सी परत पायी जाती है जिसका नाम है ओजोन
सूर्य से आनेवाली हानिकारक किरणों को ये परत सोख लेती है और उसे पृथ्वी तक नहीं आने देती।

मध्यमंडल

यह परत पृथ्वी से लगभग ८० km की ऊँचाई तक है।

अंतरिक्ष से आनेवाले उल्का पिंड जब तेज़ गति से इस परत में प्रवेश करते हैं तो वायु के साथ घर्षण के कारण जल जाते हैं।

 ये ही कभी-कभी हमें टूटा हुआ तारा के रूप में दिखाई देते  है।

भारत की कल्पना चावला का स्पेस शटल भी इसी में प्रवेश करते ही जल गया था जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी।

बाह्यमंडल

बाह्यमंडल की ऊँचाई पृथ्वी से ८० km से ४०० km  तक  है।

जैसे जैसे हम इस परत में ऊपर जाते हैं, तापमान तेज़ी से बढ़ने लगता है।

इसी परत में आयन की भी एक पतली सी परत होती है।

पृथ्वी से जो  रेडियो सिग्नल हम ऊपर भेजते हैं, वो इसी परत तक जाती है और परावर्तित होकर वापस पृथ्वी पे आती है।

रेडियो, टी.वी या मोबाइल में सिग्नल इसी परत से आता है।

बहिर्मंडल

वायुमंडल की सबसे ऊपरी और बाहरी परत को बहिर्मंडल कहते हैं।

वायुमंडल की सबसे हलकी गैस जैसे हीलियम और हाइड्रोजन इस परत में पायी जाती है।

मौसम एवं जलवायु   (कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 “वायु”)

कई बार ऐसा होता है कि शहर के एक हिस्से में वर्षा होती है और दूसरे  हिस्से में धूप निकली हुई होती है।

यानि एक तरफ का मौसम साफ़ और दूसरे तरफ का मौसम गीला।

थोड़ी देर बाद वर्षा रुक जाती है और धूप निकल आती है।

दिन भर की गर्मी के बाद शाम को अच्छी हवा चलने लगती है और मौसम सुहाना हो जाता है।

अर्थात

  • मौसम वह है जो मिनट मिनट में बदल सकता है।
  • यह छोटे क्षेत्र के लिए होता है और
  • इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है।

वहीँ दूसरी तरफ लम्बे समय तक का औसत मौसम, उस स्थान की जलवायु बताता है।

जैसे उदाहरण के लिए, भूमध्य रेखा और उसके आस-पास साल के लम्बे समय तक गर्मी रहती है।

उसी प्रकार ध्रुवों पर साल के अधिकांश समय ठण्ड पड़ती है।

इसे ही जलवायु कहते हैं। अर्थात,

  • जलवायु लम्बे समय और बड़े क्षेत्र के लिए होता है।
  • इसकी भविष्यवाणी भी आसानी से की जा सकती है।

उदाहरण के लिए, कोई भी अपने घर में बैठा-बैठा ये बता सकता है कि अभी उतरी ध्रुव पे ठण्ड होगी।

तापमान

वायुमंडल के तापमान का सीधा सा अर्थ है वायु का तापमान।

वायु में मौजूद ताप और शीतलता के परिमाण (AVERAGE) को तापमान कहते हैं।

जैसे अगर आज का अधिकतम तापमान है ३० डिग्री और न्यूनतम तापमान है १२ डिग्री तो इसका परिमाण (mean ) होगा

३०+१२=४२,

४२/२ = २१ डिग्री।

परिमाण निकालने  का सूत्र है अधिकतम + न्यूनतम तापमान बटे २

क्या तुम्हे पता है कि वायुमंडल कैसे गर्म या ठंडी होती है ?

कई लोग इसके लिए सूर्य को जिम्मेदार मानेंगे ?

मगर सूर्य निर्दोष है।

अगर सूर्य ज़िम्मेदार होता, तो दिन का अधिकतम तापमान दोपहर १२ बजे होता क्योंकि सूर्य उस वक़्त ठीक हमारे सर पे होता है और उस वक़्त किरणे सीधी पड़ती हैं ।

लेकिन अधिकतम तापमान २;३० से ३;३० के बीच होता है।

इसके लिए ज़िम्मेदार है आतपन

आतपन 

ये बात सच है कि पृथ्वी सूर्य की गर्मी से ही गर्म होती है।

लेकिन ये भी सच्चाई है कि पृथ्वी सूर्य की पूरी गर्मी प्रतिदिन वापस भी लौटा देती है।

सूर्यास्त होने के बाद भी पृथ्वी, सूर्य की गर्मी को धीरे-धीरे वापस लौटाती रहती है।

रात १० बजे, १२ बजे, २ बजे, ४बजे  सुबह ५ बजते-बजते पृथ्वी सूर्य की पूरी गर्मी वापस लौटा देती है।

इस वक़्त धरती ठंडी हो जाती है।

इससे सटी हुई इसके ऊपर की हवा भी ठंडी हो जाती है।

इसके कारण हमे रात के १२ बजे नहीं, वर्ना सुबह-सुबह ठण्ड लगने लगती है।

 सूर्य की गर्मी को पृथ्वी द्वारा सोखने की क्रिया को आतपन कहते हैं।

अब भूमध्य रेखा और उसके आस-पास जहाँ पर तेज धूप पड़ेगी वहां पृथ्वी ज्यादा तापमान सोखेगी और उसे लौटने में भी ज्यादा वक़्त लगाएगी।

इसलिए ध्रुवों पर ठण्ड होती है।

क्या अब तुम बता सकते हो कि दिन का अधिकतम और न्यूनतम तापमान कितने बजे होता होगा ?

ग्रीनहाउस किसे कहते हैं ? 

GREENHOUSE - USED TO GROP CROPS IN COLDER REGIONS

ग्रीनहाउस शीशे की एक ईमारत होती है।
इसका उपयोग ठंडी जगहों में पेड़-पौधे उगाने के लिए किया जाता है।
शीशे की इस ईमारत में जब बल्ब जलता या धूप पड़ती है तो उसकी ऊष्मा इस घर में कैद हो जाती है।
इसके द्वारा ठन्डे प्रदेशों में ऐसे पेड़ पौधे उगाये जाते हैं तो गर्म प्रदेशों में होते हैं।
इसलिए इसे ग्रीन हाउस या हरित-गृह कहते हैं।

ग्रीनहाउस  प्रभाव क्या है ?

  • ग्रीनहाउस प्रभाव एक प्राकृतिक घटना है, जो पृथ्वी की सतह को गर्म बनाये रखने में मदद करती है।
  • इसी कारण पृथ्वी न तो अधिक ठंडी होती है न अत्यधिक गर्म।
  • जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन संभव है।
  •  ग्रीनहाउस में सूर्य की ओर से आने वाली ऊर्जा प्रकाश के रूप में वायुमंडल  को पार करके पृथ्वी  तक आती है।
  •  इस आने वाली ऊर्जा का कुछ भाग मिट्टी, पेड़ पौधों और अन्य साधनों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।
  •  इस अवशोषित ऊर्जा का अधिक्तर भाग ऊष्मा में परिवर्तित हो जाता है, जो पृथ्वी को गर्म रखता है।
  • जब प्रदूषण के कारण कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा वायुमंडल में बढ़ जाती है तो वह ज्यादा गर्मी को अवशोषित करने लगता है।  इसी की वजह से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। अंटार्टिका में बर्फ के पिघलने की वजह भी यही है। इसे ही हम ग्रीनहाउस या हरित गृह प्रभाव कहते हैं। 

वायु दाब

वायु दाब का सीधा सा अर्थ है वायु का दबाव।
हमारे सर के एक वर्ग इंच पर लगभग ६.७  (साढ़े छः किलो) का दबाव वायुमंडल डालता है।
मतलब ये हुआ कि हर व्यक्ति अपने शरीर पर ५०० kg से ज़्यादा का दबाव झेल रहा है।
पर सवाल ये उठता है कि आखिर  हमे  दबाव महसूस क्यों नहीं होता ?
क्योंकि यह दबाव चारों तरफ से पड़ता है जो कि बैलेंस हो जाता है।
जैसे कि मान लो  तुम्हे दो व्यक्ति तुम्हारे हाथ को अलग अलग दिशा में बराबर ताकत से खींचे तो तुम एक ही जगह खड़े रह जाओगे।
यह वायुदाब समुद्र तल पर सबसे अधिक होता है।
जैसे जैसे हम ऊपर जायेंगे, वायु दाब  घटता जाएगा।
गर्मी में वायु गर्म होकर हलकी हो जाती है और ऊपर उठ जाती है जिससे नीचे निम्न वायुदाब बन जाता है।
फिर इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए चारों तरफ से तेज़ हवा (आंधी) चलती है।
इसके विपरीत ठन्डे प्रदेशों में हवा ठंडी होती है।
ठंडी हवा भारी होती है।
भारी होने के कारण वह ज़मीन से ज्यादा ऊपर उठ नहीं पाती जिससे उच्च वायु दाब का क्षेत्र बन जाता है।

पवन   (कक्षा 7 भूगोल अध्याय 4 वायु)

जिस प्रकार पानी ऊँचाई से नीचे की ओर बहता है।
उसी प्रकार पवन भी  उच्च दाब से निम्न दाब की और चलता है।
उच्च दाब से निम्न दाब की ओर चलने वाली वायु को ही पवन कहते हैं
पृथ्वी गोल है जिसकी वजह से सूर्य की किरणे सभी जगह बराबर से नहीं पड़ती।
इसी वजह से पृथ्वी कहीं ज्यादा गर्म तो कहीं ठंडी होती है।
जहाँ पृथ्वी गर्म होगी, वहां की हवा गर्म होकर ऊपर उठने लगेगी।
फिर उस जगह को भरने के लिए आस-पास से ठंडी हवा चलेगी।
इस प्रकार हर वक़्त पृथ्वी पर हवा चलती रहती है।
कभी धीरे तो कभी तेज़।
पवन के चलने को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है :

स्थाई पवने

उत्तर-पूर्वी और दक्षिण पूर्वी व्यापारिक पवने

सूर्य की किरणे सीधी पड़ती हैं भूमध्य रेखा और उसके आस-पास (0 डिग्री से ५ डिग्री तक)

इसकी वजह से ये क्षेत्र बहुत गर्म हो जाता है।

इस क्षेत्र को ही हम डोलड्रम के नाम से भी जानते हैं। (0 डिग्री से ५ या 10डिग्री तक)

गर्म होने की वजह से हवा हलकी होकर ऊपर उठने लगती है।
फिर कर्क और मकर रेखा (२३. ५ डिग्री ) से ठंडी हवा भूमध्यरेखा की और चलती है।
यही सिलसिला प्रतिदिन चलता है और प्रतिदिन हवा कर्क और मकर रेखा से भूमध्यरेखा की और चलती है।
इसलिए इसे उत्तर-पूर्वी और दक्षिण पूर्वी व्यापारिक पवने  भी कहते हैं।

सनातन पछुआ पवनें

भूमध्यरेखा से उठने वाली पवनें ठंडी और भारी होकर ३०-३५ डिग्री के पास उतरती हैं।

प्राचीन काल में जब घोड़े से लदे हुए जहाज़ इस पेटी में प्रवेश करते थे तो उच्च वायुदाब के कारण जहाज़ डगमनाने

और डूबने लगता था। ऐसे में व्यापारियों को जहाज़ को हल्का करने के लिए घोड़ों को समुद्र में फेंकना पड़ता था।

इसी वजह से इस पेटी को अश्व अक्षांश खा जाने लगा।

नीचे उतरने के बाद ये पवनें दो हिस्सों में बँट जाती हैं।

एक हिस्सा भूमध्यरेखा की और मुड़ जाती है और दूसरी कोरिओलिस फाॅर्स के कारण ४५-६० डिग्री की और।

इन्हीं पवनों को सनातन पछुआ पवनें कहते हैं।

ध्रुवीय पूर्वी पवनें

ध्रुवों पर (९० डिग्री)तापमान हमेशा कम होता है जिसकी वजह से वहां हवा ठंडी होती है।

ठंडी हवा भरी होती है एयर सतह के आस-पास होती है।

६६ १/२ डिग्री पर जो हवा होती है वो ९० डिग्री की अपेक्षा थोड़ी कम ठंडी होगी।

अर्थात अगर हम दोनों हवा की तुलना करें तो हम ये कह सकते हैं कि ९० डिग्री पर पायी जानेवाली हवा ठंडी और

 ६६ १/२ डिग्री पर पाये जाने  वाली हवा गर्म होती है।

हो गया तापमान में अंतर। तो जमन की हवा गर्म है वो ऊपर उठेगी और उसे भरने के लिए ध्रुवों पर से हवा चलेगी।

इसे ही ध्रुवीय पूर्वी पवनें कहते हैं।

मौसमी पवनें

नाम से ही समझ आ रहा है कि मौसमी पवनें मौसम के अनुसार अपनी दिशा बदलते रहती हैं।
भारत में ग्रीष्म ऋतू के बाद चलने वाली मानसूनी पवन मौसमी पवन कहलाती हैं।
ये पवनें साल भर भारत से भूमध्य रेखा की और चलती हैं।
ग्रीष्म ऋतू के समाप्त होते ही ये पवनें पलट जाती हैं और भूमध्यरेखा से भारत की ओर चलने लगती हैं।
हिन्द महासागर की और से आने के कारण इनमे आद्रता होती है जिससे भारत में वर्षा होती है।
इसे ही मानसून पवनें कहते हैं।

स्थानीय पवनें

ये पवन दिन के किसी भी समय छोटे क्षेत्र में चलती रहती हैं।
जैसे गर्मी में चलने वाली लू (गर्म और सूखी हवा), स्थानीय पवन का एक बेहतरीन उदाहरण है।
समुद्र के किनारे भी हु ४ घंटे हवा चलती रहती है। या तो समुद्र से स्थल की और या फिर स्थल से समुद्र की और।
ऐसे छोटे-छोटे क्षेत्रों में चलने वाली लोकल पवनों को स्थानीय पवनें कहते हैं।

आद्रता

वायु में जलवाष्प की मात्रा को आद्रता कहते हैं।
गर्म  वायु में जल को सोखने की क्षमता अधिक होती है।
इसलिए अक्सर तुमने देखा होंगे कि कई लोग अपना चश्मा साफ़ करने के लिए मुँह से गर्म हवा छोड़ते हैं।
इससे जल के छोटे कण चश्मा के शीशे पर आ जाते हैं जिसे कपडे से साफ़ क्र लिया जाता है।
बरसात के दिनों में वायु में आद्रता की मात्रा बढ़ जाती है जिससे हमारे कपडे जल्दी नहीं सूखते।
यहाँ पर ध्यान रखने वाली बात यह है कि गर्म हवा में नमी होती है और ठंडी हवा शुष्क (सूखी) होती है।
अपने स्वभाव के विपरीत जब गर्म हवा शुष्क (सूखी) हो जाती है तो उसे हम लू कहते हैं।
ये हवा इतनी सूखी (प्यासी) होती है कि ये तुम्हारे शरीर से पानी खींच लेती है जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
इसके विपरीत हम देखते हैं कि समुद्र के किनारे वायु गर्म भी होती है।
उसमे आद्रता की मात्रा भी ज्यादा होती है।
इसी वजह से समुद्र के किनारे रहने वाले लोगों को दिन भर पसीना आता है।

निष्कर्ष:

कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 4 “वायु” सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए एक कठिन पाठ है।

इस पाठ में ऐसी-ऐसी बातें लिखी हुई हैं जो जानना आवश्यक है।

यही कारण है कि प्रतियोगिता परीक्षाओं में इस पाठ से बहुत सारे प्रश्न पूछे जाते हैं।

अगर कक्षा 7 के भूगोल का अध्याय ४ “वायु” की व्याख्या को पहले ध्यान से पढ़ें, उसके बाद ही इस पाठ का प्रश्नोत्तर करें।

प्रश्नोत्तर को भी कॉपी करने से बेहतर होगा कि उसे समझ कर अपने शब्दों में लिखने का प्रयास करें।

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जैसे डोलड्रम, अश्व अक्षांश, हवाई जहाज़ संताप मंडल में क्यों उड़ता है, ऊटी जो कि भूमध्यरेखा के नज़दीक है और दिल्ली दूर।

फिर भी ऊटी में ठण्ड क्यों पड़ती है ? आतपन किसे कहते हैं ?

शहरों की अपेक्षे गाँव ज्यादा ठंडा क्यों होता है इत्यादि।

सभी पाठकों के लिए एक प्रश्न:

माउंट एवरेस्ट समुद्र तल से लगभग 9 km ऊंचा है। सूर्य की सीधी किरणे भी उसपे बेरोकटोक पड़ती हैं इसके बावजूद हिमालय की यह चोटी हमेशा बर्फ से ढकी रहती है। क्यों ?

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कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल अध्याय 4 “वायु”

अभ्यास 

१. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-

(क) वायुमंडल क्या है ?
उत्तर ) हमारी पृथ्वी चारों और वायु  से घिरी हुई है जिसे वायुमंडल कहते हैं।
 
(ख) वायुमंडल के अधिकतर भाग किन दो गैसों से बना है ?
(उत्तर) वायु मंडल ९९% तो सिर्फ दो गैसों से ही बना है – नाइट्रोजन (७८%) और ऑक्सीजन (२१%)
 
(ग) वायुमंडल में कौन सी गैस हरित गृह प्रभाव पैदा करती है ?
(उत्तर) वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस हरित गृह प्रभाव पैदा करती है।
 
(घ) मौसम किसे कहते हैं ?
(उत्तर) किसी स्थान विशेष पर, किसी खास समय, वायुमंडल में तापमान,वर्षा, आर्द्रता, धूप, वायु आदि की स्थिति को मौसम हैं।
(च) वर्षा के तीन प्रकार लिखें। 
(उत्तर) वर्षा  तीन प्रकार हैं : संवहनी वर्षा, पर्वतीय वर्षा एवं  चकक्रवर्ती वर्षा।
 
(छ) वायुदाब क्या है ?
(उत्तर) स्थलीय अथवा सागरीय क्षेत्रफल की एक निश्चित इकाई पर वायुमण्डल की समस्त परतों के भार को ही वायुदाब कहते हैं।
 

२. एक शब्द में उत्तर दीजिये :-

(क) निम्नलिखित में से कौन सी गैस हमे सूर्य की हानिकारक किरणों से बचती है – ओजोन
(ख) वायुमंडल की सबसे महत्वपूर्ण परत है – क्षोभमंडल
(ग) वायुमंडल की निम्न परतों में कौन सी बादल विहीन है – समतापमंडल
(घ) वायुमंडल की परतों में जब हम ऊपर जाते हैं तो वायुदाब – घटता है
(च) जब वृष्टि तरल रूप में पृथ्वी पर आती है, उसे हम कहते हैं – वर्षा

३. सही जोड़े बनाइये : (उत्तर)

(क) व्यापारिक पवन    –    स्थायी पवन
(ख) लू                         –   स्थानीय पवन
(ग) मानसून                 –    मौसमी पवन
(घ) पवन                     –   हवा की क्षैतिज गति

४. कारण बताइये:

(क) आर्द्र दिन में गीले कपडे सूखने में अधिक समय लेते हैं। 
 
(उत्तर) 
 
जब हवा सूखी होती है तो उसमें जल को सोखने की क्षमता अधिक होती है।
आर्द्र दिनों में वायु में जलवाष्प की मात्रा अत्यधिक होती है जिसकी वजह से उसकी जल को सोखने क्षमता कम होती है।
अतः आर्द्र दिन में गीले कपड़े सूखने में अधिक समय लगता है।
(ख) भू-मध्यरेखा से ध्रुवों की और जाने पर आतपन की मात्रा घटती जाती है।
(उत्तर) 
 
हमारी पृथ्वी पूर्ण रूप से गोलाकार नहीं है।
यह उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों पर थोड़ी चपटी तथः मध्य में थोड़ी उभरी हुई है।
इस वजह से भूमध्य रेखा पर वर्ष भर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं।
जैसे-जैसे भूमध्यरेखा से उत्तर या दक्षिण की ओर जाते हैं तो सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने लगती हैं।
यही कारण है कि भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर आने पर आतपन की मात्रा घटती जाती है।

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