चाइना से क्या सीखें ?

Written By Avinash Sharan

20th October 2020

आखिर क्यों हम चाइना से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते?

चाइना से हमें क्या सीखना चाहिए?

                      हम चाइना से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते?

चाइना से हमें क्या सीखना चाहिए या यूँ कहें कि चाइना से क्या सीखें ? भारत 1947 में और चाइना1949 में आज़ाद हुआ।
भारत में लोकतंत्र (DEMOCRACY) और चाइना में साम्यवादी (COMMUNIST) सरकार की स्थापना हुई।
दोनों ही देशो ने 1950 से अपनी-अपनी विकास यात्रा शुरू की।
मगर विकास के क्षेत्र में भारत पीछे छूट गया और चाइना हमसे बहुत आगे निकल गया।
आखिर क्यों हम चाइना से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते?
चाइना से क्या सीखें ?
आज चीन दुनिया के विकसित देशों में से एक है पाकिस्तान अब चाइना को गधे बेचेगा (हिंदी व्यंग्य)
वह हमसे शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, तकनीक, मिलिट्री इत्यादि में इतना आगे निकल गया कि भारत के लिए चाइना से प्रतिस्पर्धा करना लगभग नामुमकिन हो गया।
हम चाइना से ईर्ष्या तो कर सकते हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा नहीं।
आखिर क्या कारण है कि जो देश 1990 तक भारत से गरीब था उस देश का GDP आज भारत से कई गुना ज्यादा है?
आखिर क्यों हम चाइना  से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते? चाइना से हमें क्या सीखना चाहिए या चाइना से क्या सीखें ?

१. आर्थिक नीति (ECONOMIN POLICY): चाइना से क्या सीखें ?

चीन के क्रांतिकारी नेता माओ जिदांग, 1978  तक देश को विकास के रास्ते पर नहीं ला पाए।
उस वक़्त तक चीन गरीबी और बढ़ती हुई जनसँख्या से जूझ रहा था।
माओ जिदांग की मृत्यु के बाद चीन के नए शाषक ने विदेशी कंपनियों के लिए अपने देश के द्वार खोल दिए।
समुद्र किनारे कई विदेशी कंपनियों के खुलने से रोज़गार एवं आयत-निर्यार बढ़ गया। नयी सरकार ने खेती के नियमों में भी बदलाव किये।
“एक बच्चे का कड़ा कानून” लाकर चीन ने अपनी बढ़ती जनसँख्या पर लगाम लगाया।
वहीँ दूसरी और भारत के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने आर्थिक प्रगति के बदले सामाजिक प्रगति पे ज़ोर दिया।
निजी उद्योगों को बढ़ावा नहीं दिया गया।
जनसँख्या वृद्धि को रोकने के लिए परिवार नियोजन केंद्र खोले गए, जो शहरों तक ही सीमित रह गए।
स्वास्थ्य सुविधा और जागरूकता के अभाव के कारण देश की जनसँख्या तेजी से बढ़ने लगी।

२. आधारिक संरचना (FOCUS ON INFRASTRUCTURE): चाइना से हमें क्या सीखना चाहिए?

चीन ने अपना ध्यान आधारिक संरचना (INFRASTRUCTURE) पर केंद्रित किया।
देश में सड़क, पुल, रेल की पटरी इत्यादि पर खर्च किया।
इससे लोगों को रोजगार मिलने लगे और देश का भी विकास होता गया।
पैसे आने के कारण लोगो की खरीदारी की क्षमता भी बढ़ गयी।
आज भी चाइना अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर 9 % खर्च करता है जो भारत से तीन गुना ज्यादा है।
वहीँ दूसरी और भारत अपनी आज़ादी के ५० वर्षों बाद तक कुल GDP का सिर्फ ३% खर्च इंफ्रास्ट्रक्चर पर करता आया है।
इस वजह से देश में बेरोज़गारी बढ़ी और विकास भी नहीं हो पाया।
देश आज भी सड़क, रेल, पुल, स्कूल,अस्पताल की कमी से जूझ रहा है।
खर्च करना तो दूर, लोगों के पास खाने के भी पैसे नहीं हैं।
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३. उद्योगों का विकास (INDUSTRIAL DEVELOPMENT): चाइना से हमें क्या सीखना चाहिए?

चीन ने 1960 से 1970 के दशक में छोटे-मोटे उद्योगों को बढ़ावा दिया।
इसमें मुख्यतः कपडे, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग इत्यादि उद्योगों को प्रोत्साहन दिया।
ऐसे उद्योगों को लगाने में लागत कम आती है और कई लोगों को रोजगार मिल जाते हैं।
चीन ने विदेशी कंपनियों के लिये भी द्वार खोल दिए।
नियमों को भी आसान बना दिया जिससे कई विदेशी कंपनी चीन में पैसे इन्वेस्ट करने लगे।
भारत ने भी 1960 से 1970 के दशक में उद्योगों को बढ़ावा दिया।
फ़र्क सिर्फ इतना था कि चाइना ने छोटे उद्योगों को बढ़ावा दिया वहीँ भारत बड़े उद्योगों पे पैसे खर्च करने लगा.
जैसे स्टील, पानी का जहाज़, इत्यादि।
ऐसे उद्योगों को लगाने में लागत ज़्यादा आती है और इसका मेंटेनन्स कॉस्ट भी ज्यादा होता है।
भारत के कड़े नियम, ज्यादा टैक्स, खराब इंफ्रास्ट्रक्चर और सरकार की ढुल -मुल नीति की वजह से वदेशी कंपनियां भारत में पैसे लगाना नहीं चाहती हैं।

४. ऊर्जा के क्षेत्र में (ENERGY RESOURCES): चाइना से हमें क्या सीखना चाहिए?

दुनिया के सभी देश आज ऊर्जा बचाने में लगे हुए हैं।
प्रतिदिन नए-नए आविष्कार हो रहे हैं।
वैज्ञानिक धूप, हवा, और भूगर्भ से ऊर्जा बनाने में लगे हुए हैं।
देश की आमदनी का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऊर्जा पर खर्च हो जाता है।
चाइना भी ऊर्जा बचत कर रहा  हैऔर बचत के इस पैसे को विकास में लगा रहा है।
विकसित देशों में सार्वजनिक परिवहन (PUBLIC TRANSPORT) का लोग इस्तेमाल कर रहे हैं।
इससे ऊर्जा में भरी बचत होती है।
भारत आज भी बिजली के लिए कोयले और पेट्रोल पर आश्रित है।
सड़कों पर दुपहिया और कार की संख्या इतनी बढ़ गयी है कि भारत को ऊर्जा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
सार्वजनिक परिवहन की सुविधा ना होने की वजह से लोगों को अपनी गाडी से यात्रा करनी पड़ती है।
विकास का पैसा ऊर्जा पूर्ती में चला जाता है।

५. जल आपूर्ति (WATER RESOURCE): चाइना से हमें क्या सीखना चाहिए?

जल संसाधन के मामले में भारत के पास चीन से चार गुना अधिक जल है।
भारत में हर वर्ष मानसून आता है और नदियों में पानी लबालब भर जाता है।
कई नदियों में तो हर वर्ष बाढ़ आती है जिससे कई लोगों की जान भी जाती है।
भारत के उत्तर और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में हिमालय भी बर्फ से ढका हुआ है।
मगर आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि भारत में चीन से अधिक जल संकट है।
तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात,आदि ऐसे राज्य हैं जहाँ जल की समस्या गंभीर है।
अक्सर गर्मियों में जल संकट राष्ट्रीय समाचार में होता है।
भारत को इस संकट से उबरने के लिए चीन के नक्शोकदम पे चलना होगा।
चीन ने अपने किसानों को इतनी अच्छी ट्रेनिंग दी है कि वहां के किसान कम जल में उत्पादन कर लेते हैं।
इसके अलावा जल की बर्बादी और उसे प्रदूषित करने पर चाइना कड़ाई से फाइन लगाता है।
इस प्रकार चीन में कम जल होने के बावजूद उसका जल संसाधन मैनेजमेंट बहुत ही अच्छा है।
भारत, पूरे विश्व में, ज़मीन के नीचे से सर्वाधिक जल निकालने वाला देश है।अत्यधिक जल की खपत के कारण यहाँ जल की समस्या गंभीर है।
यहाँ न तो जल निकालने पे कोई रोक है और ना ही नदियों को प्रदूषित करने पर कोई फाइन।
भारत जैसे देश में तो जल की समस्या होनी ही नहीं चाहिए।
यहाँ तो इतनी वर्षा होती है कि भारत चाहे तो जल निर्यात कर सकता है।
जल संसाधन मैनेजमेंट और कानून का कड़ाई से पालन न होने के कारण आज भारत जल की समस्या से जूझ रहा है।

निष्कर्ष: चाइना से हमें क्या सीखना चाहिए?

भारत को अपने पडोसी देश से बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है।
भले ही चीन, भारत का दुश्मन हो मगर इसमें कोई संदेह नहीं कि वो हमसे ज्यादा विकसित देश है।
भारत सरकार को चाहिए कि लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करे।
युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करे। https://shapingminds.in/do-you-know-that-you-are-unique/ देश के अंदर इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दे।
सरकार किसी की भी हो, मुफ्त में बिजली, शिक्षा, इलाज इत्यादि जनता को दिखाकर वोट बटोरने वाली राजनीति बंद करे।
पैसे का सदुपयोग करे।
भारत और भारतियों को मंदिर -मस्जिद , हिन्दू -मुस्लिम, जाती-पाती, भाजपा -कांग्रेस इत्यादि से बाहर निकलना होगा।
सोच बदलेगी तो ही देश बदलेगा।
भारत  के युवाओं में टैलेंट की कोई कमी नहीं है।
आज हम खुद अपनी कमियों के कारण कई देशों से पीछे हो गए हैं।
जिस दिन हम अपनी कमज़ोरियों पर विजय प्राप्त कर लेंगे उस दिन हम किसी भी देश से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो जाएंगे।
चीन से अगर भारत को प्रतिस्पर्धा करना है तो
भारत में MAKE IN INDIA, SKILL DEVELOPMENT, FDI, LIBERALISATION, INFRASTRUCTURE, STRAIGHT FORWARD POLICY और POPULATION CONTROL पर ज़ोर देने की आवश्यकता है।

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