बिहार विधानसभा चुनाव 2020
आ गया, आ गया, आ गया। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 आ गया।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का त्यौहार आ गया।
लोगों को एक बार फिर बेवकूफ बनाने का मौसम आ गया।
लाखों को रोज़गार मिलेगा, चमचमाती सड़क बनेगी , बहुमंजिला अस्पताल बनेगा , २४ घंटे बिजली, शुद्ध हवा और पानी।
अर्थात,
जो ७३ वर्षों में आजतक नहीं हो पाया वो सब अगले 5 वर्षों में हो जाएगा।
बस एक बार और बेवकूफ बन जाईये। एक बार हमें वोट देकर बिहार विधानसभा चुनाव 2020 जीता दीजिये।
सभी से हाथ जोड़ कर निवेदन है।
भारी मतों से विजयी बनाए।
आइये इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में अपना योगदान अवश्य दें, हमारे योग्दान की चिंता बिल्कुल ना करें।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के आते ही सभी बरसाती मेंढक फिर से टरटराने लगे ? क्याआपको लगता है कि इनमें से एक भी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव 2020 जीतने लायक है? बिहार में किस बात का वोट?
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 – किस बात का वोट?
जहाँ तक मुझे पता है कि शायद बिहार भी भारत के बाकी राज्यों के साथ ही आज़ाद हुआ था।
फिर ऐसा क्यों है कि 1947 से 2020 तक बिहार देश का सबसे अशिक्षित राज्य है ?
नितीश बाबू , आपको गद्दी पर बैठे 15 साल हो गए। इन 15 वर्षों में भी बिहार सबसे फिसड्ड़ी।
क्या आपको भी कांग्रेस की तरह 70 साल चाहिए पप्पू का महा गठबन्धन ?
हर बार चुनाव का मुद्दा होता है शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क और इसमें से एक भी चीज़ बिहार में ठीक नहीं है।
किस बात का वोट चाहते हैं आपलोग ?
पार्टी कोई भी हो या किसी की भी रही हो, ये बात तो तय है कि बिहार को सभी ने मिलकर डुबाया है.
सभी मयख़्यमंत्री पैसे वाले बन गए, बिहार गरीब हो गया।
बिहार ने पंजा छाप, लालटेन और तीर को मौका तो दिया मगर सारे के सारे कामचोर निकले।
बिहार में किस बात का वोट?
शिक्षा:
बिहार में १९४७ से आजतक किसी भी पार्टी का नेता ऐसे ५ स्कूलों का नाम गिना दे जहाँ दूसरे राज्यों से बच्चे पढ़ने आते हैं।
मैं आपको ऐसे हज़ारों स्कूलों का नाम गिना सकता हूँ जहाँ बिहार के बच्चे दूसरे राज्यों में जाते हैं।
आज़ादी के समय से बिहार में मैडम को APPLE की स्पेलिंग नहीं आती लगभग २२ मुख्यमंत्री अलग-अलग पार्टियों के हो चुके हैं।
सबने एक रिकॉर्ड कायम रखा” बिहार देश का सबसे अशिक्षित राज्य”।
जब शिक्षा से किसी को कोई मतलब ही नहीं है तो बिहार में किस बात का वोट ?
स्वास्थ्य : (बिहार विधानसभा चुनाव 2020)
पूरे बिहार में शायद ही कोई परिवार ऐसा होगा जो इलाज के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, वेल्लोर इत्यादि जगह न गया हो।
आखिर क्यों जाना पड़ता है बिहार से बाहर ?
क्योंकि सारे मुख्यमंत्री स्वास्थ्य के नाम पर अस्पताल तो खोल देते हैं मगर इलाज के नाम पर कोई सुविधा नहीं।
प्रशासन सिर्फ मजे लेता है और आम आदमी को भुगतना पड़ता है।
जब शिक्षा और इलाज के लिए बाहर ही जाना पड़ता है तो बिहार में किस बात का वोट ?
सड़क :
सड़क के लिए तो बिहार विश्व प्रसिद्द है।
पता नहीं बिहार के मुख्यमंत्रियों को सड़क से क्या दुश्मनी है।
कोई भी आये, मगर सड़क कोई नहीं बनवाता।
माना कि कुछ मुख्यमंत्री अंगूठा छाप थे, मगर इंजीनियर मुख्यमंत्री ने कौन सा तीर मार लिया।
सड़क पे रोज़ जाम लगता है।
एक्सीडेंट्स होते हैं। नया परिवहन नियम गाडी खराब हो जाती है।
मगर मुख्यमंत्री और बाकी पार्टी वाले वादा करने में पीछे नहीं रहते।
बेशर्मों की तरह फिर आएंगे और कहेंगे हमें वोट दीजिये हम सड़क बनवा देंगे।
कहने में क्या हर्ज़ है।
मगर जब सड़क जैसी चीज़ नहीं बनवा पाए तो बिहार में किस बात का वोट?
बिजली :
बिहार में कोई बिजली के तार पर ४ दिन लटका रहे तो भी वो ज़िंदा बच जाएगा।
वहां के बिजली के तार में करंट ही नहीं दौड़ता।
लोग ६-७ दिन इंतज़ार करते हैं और जब बिजली नहीं आती तो तार काटकर बेच आते हैं।
” न रहेगा तार, न आएगी बिजली “
बिहार के हर शहर और हर गाँव में बिजली की समस्या शुरू से ही है।
लोगों ने इन्वर्टर, जनरेटर कनेक्शन लगवाकर सरकार का काम हल्का कर दिया।
बिहार की बिजली व्यवस्था को देखकर “रास्ते प्यार के” फिल्म का एक गाना याद आता है।
सारा दिन सताते हो, रातों को जागते हो, थोड़ी देर को आते हो, चले जाते हो। तुम याद बहुत आते हो……...
ये गाना बिहार के सभी पार्टियों को समर्पित है।
जब बिजली की व्यवस्था लोग खुद कर रहे हैं तो बिहार में किस बात का वोट।
पानी : (बिहार विधानसभा चुनाव 2020)
पटना की बाढ़ ने ये तो दिखा दिया कि बिहार में पानी की कोई कमी नहीं है।
लेकिन साथ ही साथ ये भी दिखा दिया कि जिस राजधानी (पटना) में बैठकर मुख्यमंत्री चलते हैं वहीँ पर जल निकासी का कोई प्रबंध नहीं।
धन्य हैं बिहार के मुख्यमंत्री।
बाढ़ के वक़्त अंडरग्राउंड हो गए।
लोगों के घर में पानी घुस गया, लोग घर छोड़कर चले गए, उनके यहाँ चोरी हो गयी लेकिन मुख्यमंत्री साहब काला चश्मा लगाए हेलीकाप्टर से लोगों की समस्या समझने का प्रयास कर रहे थे।
दूरदर्शी जो ठहरे।
उन्हें दूर से ही साफ़ दिखता है।
जब प्राकृतिक आपदा में सरकार लोगों की मदद नहीं कर सकती तो बिहार में किस बात का वोट ?
रोज़गार : (बिहार विधानसभा चुनाव 2020)
रोज़गार की चिंता तो कीजिये ही मत।
बिहार में रोज़गार के बहुत अवसर हैं।
आखिर सरकार ने ढेर सारे उद्योग जो लगाए हैं।
मोबाइल बनाने का कारखाना, कार का कारखाना, इस्पात उद्योग, हवाई जहाज़ बनाने का कारखाना बिहार में ही तो है।
ये बात और है कि किसी को भी दिखाई नहीं देता।
इस बार सरकार १९ लाख लोगों को रोज़गार देने के प्लान से चुनावी मैदान में उतर रही हैं चाइना से क्या सीखें ?।
ये वही मुख्यमंत्री हैं जो गर्व से कहते हैं बिहार पूरे देश को मज़दूर सप्लाई करता है।
सही है, बिहार में कोई काम हो तब ही तो मज़दूर लगेंगे।
मज़दूरी तक के लिए जब लोगों को बिहार से बहार जाना पड़ता है तो बिहार में किस बात का वोट?
निष्कर्ष : (बिहार विधानसभा चुनाव 2020)
“वोट दीजिये NOTA को , सबक सिखाइये NETA को “
तात्पर्य यह है कि बिहार में एक भी ऐसी पार्टी नहीं है जो बिहार का भला करना चाहती हो।
कितना अच्छा होगा यदि लोग सभी पार्टियों का बहिष्कार कर दें और NOTA को विजयी बनायें।
कम से कम एक भय तो रहेगा कि अगर हमारा काम लोगों को नज़र नहीं आया तो लोग वोट भी नहीं देंगे।
अगर आपको लगता है कि आपके जिले में विकास का काम किसी ने किया है तो उसे वोट ज़रूर दीजिये।
पार्टी या जाति देखकर नहीं, काम देखकर वोट दीजिये। https://www.youtube.com/watch?v=M52bUa9kgbA&t=16s अभी मौका आपके हाथ में है।
जब काम नहीं तो वोट किस बात का।
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