सही पेरेंटिंग के लिए अपनाएं ये सात उपाय:
सही पेरेंटिंग के लिए अपनाएं ये सात उपाय: सही पेरेंटिंग को जितना आसान लोग समझते हैं , दरअसल ये इतना आसान है नहीं।
सही पेरेंटिंग आज के समय में एक बहुत बड़ा चैलेंज है और इसकी कोई पढाई भी नहीं होती।
इसलिए सभी को ये लगता है कि हमने तो कोई कसर नहीं छोड़ी, फिर हमारा बच्चा ऐसा क्यों हो गया?https://shapingminds.in/अपने-अंदर-छुपी-प्रतिभा-को/ हम अपने बच्चों के साथ वही करते हैं जो हमारे साथ हुआ और उसे ही सही पेरेंटिंग मान बैठते हैं।
वक़्त के साथ पेरेंटिंग का बदलना ज़रूरी होता है वरना परिणाम घातक हो सकते हैं।
१. अपने बच्चों को कभी कमज़ोर न समझे :
सही पेरेंटिंग में पढाई या फिर अंक के आधार पर कभी भी अपने बच्चों को कमज़ोर न समझें।
ये पैमाना ही गलत है। अगर आप खुद ही उसे कमज़ोर समझते रहेंगे तो वो भी अपने आप को कमज़ोर समझने लगेगा।
हर बच्चा unique होता है और कुछ खास गुण लेकर पैदा होता है। आपको चाहिए कि आप उसके गुणों को पहचानिये और उसे निखारने का प्रयास कीजिये।
उदहारण के लिए मान लीजिये की आपका बच्चा चित्रकला में निपुण है और बिना कहीं से सीखे अपने आप अच्छी चित्रकारी करता है।
ऐसे में आपको चाहिए कि आप उसे इस कला में निपुण बनाये। अधिकतर ये देखा गया है कि पेरेंट्स बच्चो को मैथ्स और साइंस का ट्युशन लगा देते हैं।
https://shapingminds.in/बच्चे-पढाई-में-क्यों-कमज़ो लकड़ी,अगर बढ़ई के हाथों में दी जाये तो वो उसकी कीमत बढ़ा देगाऔर सोनार को दी जाये तो वो उसे जला देगा। कहीं आप भी ऐसी गलती तो नहीं कर रहे ?
२. पढाई का महत्व बताएं :
सही पेरेंटिंग वह है जहाँ पेरेंट्स बच्चों को पढाई का महत्व बताएं।
पढाई अच्छे या खराब अंक के लिए नहीं किया जाता। पढाई का सीधा सा मतलब होता है किसी भी चीज के बारे में गहराई से जानना। चाहे वो मैथ्स हो या फिर संगीत ।
आप जितनी गहराई में जायेंगे उतना ही आपकी समझ बढ़ेगी। किसी भी विषय की गहराई में जाने के लिए आपको सभी विषयों की बेसिक जानकारी का होना कितना ज़रूरी है।
छोटे शहरों में कुछ व्यापारी अपना बिज़नेस इसलिए नहीं बढ़ा पाते क्योंकि उनके पास कंप्यूटर की जानकारी नहीं होती।
पैसे का हिसाब किताब रखने का सही तरीका नहीं आता या उनके पास अच्छी भाषा (हिंदी या अंग्रेजी) का ज्ञान नहीं होता।
इसलिए सभी विषयों का ज्ञान होना आवश्यक है। क्या आपने कभी अपने बच्चों को ये बातें बताई हैं ?
३. बच्चों को चैलेंजेज दें :
बार-बार बच्चों को ये कहना कि पढ़ने जाओ , पेरेंट्स की सबसे बड़ी गलती होती है।
इसके बदले में हमें ये कहना चाहिए कि तुम्हारे साइंस में ७० से अधिक अंक आ ही नहीं सकते क्योंकि मेरे कभी नहीं आये।
किसी भी बच्चे को हारना पसंद नहीं होता। पेरेंट्स को चाहिए कि वो इस चीज़ का फायदा उठाएं।
उदहारण के तौर पर, आप उनसे कहिये कि Newton के तीनों laws मुझे कभी समझ में ही नहीं आये अगर तुम्हें समझ में आ जाये तो मुझे समझा देना। तब मैं मानूंगा।
इस चैलेंज को हर बच्चा स्वीकार करेगा।
खुद से समझने का प्रयास करेगा क्योंकि कोई भी बच्चा अपने आप को कमज़ोर नहीं समझता।
क्या आपने कभी अपने बच्चों को चैलेंजेज दिया है?
४. हमेशा बच्चों को प्रोत्साहित करें :
भारतीय पेरेंट्स अपने बच्चों की बुराई करने और उन्हें दूसरों के सामने नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
गलत पेरेंटिंग का परिणाम कभी भी सही नहीं हो सकता।
और तो और हम अक्सर इसी में अपनी शान समझते हैं। जैसे पेरेंट्स द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले वाक्य :
मेरा बच्चा तो बिलकुल पढता ही नहीं है। इसका तो पढ़ने में मन ही नहीं लगता।
ये तो बिलकुल ही बेशरम हो गया है। इस बार तो ज़रूर फेल होगा।इसको तो पढाई से कोई मतलब ही नहीं है।
ये तो पूरे खानदान का नाम डुबाएगा। पता नहीं कैसे हमारे घर में पैदा हो गया है आदि …..
प्रोत्साहन से बच्चे का मनोबल बढ़ता है और वो उत्साहित महसूस करता है।
पॉजिटिव बातें पॉजिटिव असर डालती हैं जबकि नेगेटिव बातें नेगेटिव।
उदहारण के तौर पर, एक डॉक्टर मरीज़ से कहता है कि तुम अब कभी ठीक नहीं हो पाओगे। वहीं दूसरा डॉक्टर ये कहता है कि १५ दिनों के बाद तुम फिर से फुटबॉल खेलने लगोगे।
आप समझ ही गए होंगे कि किस बात का हमारे मष्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्या आप भी अपने बच्चों की दूसरों के सामने बुराई करते हैं?
५. बच्चों को गलतियां करने दें :
गलतियां करना ही तो सीखने की सीढ़ी होती है।
अपनी गलतियों से ही तो लोग सीखते हैं।
गलतियां न करने देने का मतलब है सीखने की प्रक्रिया में खलल डालना।
आपका बच्चा आपके एब्सेंस में गलतियां करे, उससे तो कहीं अच्छा है कि वो आपके सामने गलतियां करे।
कम से कम उसकी गलतियों को सुधारा जासकता है।https://shapingminds.in/तमसो-माँ-ज्योतिर्गमय/ अंग्रेजी में एक कहावत है
“REMEMBER THAT LIFE’S GREATEST LESSONS ARE USUALLY LEARNED AT THE WORST TIMES AND FROM THE WORST MISTAKES.”
६. अपने बच्चों को हार स्वीकार करना सिखाएं :
बच्चों की जीत पर जश्न तो होनी ही चाहिए।
दूसरों को हराकर जीनते में आनंद आता है।
मगर उतना ही आनंद अगर दूसरों से हारने के बाद भी आये तो आपके बच्चे को दुनिया की कोई ताकत हरा नहीं सकती।
बहुत ही कम लोग इस बात को समझ पाएंगे।
सही पेरेंटिंग ये है कि बच्चों को अपनी हार स्वीकार करना ही नहीं बल्कि एन्जॉय करना भी सिखाएं।
ऐसा ना करने पर बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जायेंगे।
बड़े से बड़े कॉलेज से पढ़ने वाले इंजीनियर, डॉक्टर और आई. ए .एस जो हारना नहीं सीखते, वे आसानी से टूट जाते हैं। ड्रग्स के शिकार हो जाते हैं या फिर आत्महत्या कर लेते हैं।
७. बच्चों के साथ प्रेम से पेश आएं :
अपने से छोटों के साथ हम जैसा बर्ताव करेंगे बच्चे वही सीखेंगे और हमारे साथ भी उसी तरह पेश आएंगे।
इनका बेहेवियर अक्सर पेरेंट्स का ही रिफ्लेक्शन होता है।
झूठ बोलने वाले पेरेंट्स के बच्चे भी धड़ल्ले से झूठ बोलना सीख जाते हैं।
डांटना , मारना या अपशब्द का प्रयोग करना, कभी भी पेरेंटिंग का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
आज कल के बच्चे बहुत ही सेंसिटिव होते हैं।
ऐसा करने पर उनमे बदले की भावना पैदा होती है और वो कुछ आपका भी नुक्सान कर सकते हैं।
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