मूल रूप से पर्यावरण के घटक का अर्थ है पर्यावरण को प्रभावित करने वाले कारक।
यहाँ पर्यावरण को या तो प्रकृति बनIती है या फिर मानव।
इस प्रकार पर्यावरण के घटक को हम दो हिस्सों में विभाजित कर सकते हैं – प्रकृति और मानव।
प्राकृतिक पर्यावरण
अगर हम अपनी पृथ्वी पर नज़र डाले तो पाएंगे कि कहीं पर ज़मीन है जिसे स्थलमंडल कहते हैं।
कहीं पर नदी और समुद्र है जिसे कि जल मंडल कहते हैं।
कहीं पर वायु है जिसे कि वायुमंडल कहते हैं।
इन सबका निर्माण एवं सञ्चालन प्रकृति करती है।
आइये इसे एक-एक कर समझते हैं।
स्थलमंडल :
पृथ्वी के ऊपर की ज़मीनी परत को स्थलमंडल कहते हैं।
यह मिटटी, चट्टानों और खनिजों से बना होता है।
इसके ऊपर मिटटी की एक पतली परत होती है जो खेती के लिए काम आती है।
इसी स्थलमंडल के ऊपर पहाड़, पठार, मैदान एवं मरुस्थल पाए जाते हैं।
समुद्र के नीचे भी ज़मीन होती है जो स्थलमंडल का ही हिस्सा होती है।
जलमंडल :
पूरी पृथ्वी पर जहाँ भी जल है उसे जलमंडल कहते हैं।
नदी,समुद्र,तालाब, झील, महासागर इत्यादि सभी जलमंडल का निर्माण करते हैं।
जलमंडल भी हमारे लिए अत्यंत उपयोगी है क्योंकि जल के बिना कोई भी जीवित नहीं रह सकता।
अतः यह सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है।
वायुमंडल:
पृथ्वी के चारों ओर वायुमंडल फैली है।
वायुमंडल की अनेक परतें हैं।
ये परतें छलनी की तरह काम करती हैं।
जिस प्रकार एक चाय की छलनी चाय पत्त्त्ती, अदरख, तुलसी पत्ता इत्यादि को ऊपर ही रोक लेती है मगर उसके गुणों को चाय तक पहुँचने देती है।
उसी प्रकार वायुमंडल भी सूर्य से आनेवाली हानिकारक किरणों को रोक लेती है।
जो किरणे हमारे लिए लाभकारी है सिर्फ उसे ही पृथ्वी तक पहुँचने देती है।
यह पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से पृथ्वी से अलग नहीं हो पाती।
जैवमंडल एवं पारितंत्र
पुस्तक के अनुसार ” पादप एवं जीव-जंतु मिलकर जैवमंडल का निर्माण करते हैं।
यह पृथ्वी का वह संकीर्ण क्षेत्र है जहाँ स्थल, जल और वायु मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं।
जहाँ पर स्थल, जल एवं वायु मंडल मिलते हैं वहां जीवन (life) पैदा होता है जिसे हम जैवमंडल (Biosphere) कहते हैं।
परिभाषा तो बहुत अच्छी है मगर समझ में कुछ नहीं आया और न आएगा क्योंकि ये नहीं समझाया गया कि स्थल, जल और वायु मिलकर जीवन को संभव
कैसे बनाते हैं?
जैवमंडल को समझें उदाहरण से
एक प्लास्टिक का साफ़ डब्बा लीजिये।
उसे भी अच्छी तरह धोकर धूप में पूरी तरह सुखा लीजिये।
एक किलो बाज़ार से सूजी खरीदिये और उसे भी साफ़ करके धूप में सुखा लीजिये।
फिर साफ़ किये हुए सूजी को साफ़ डब्बे में भर लीजिये और डब्बे का ढक्कन टाइट से बंद कर दीजिये और उसे किसी भी साफ़ जगह पर रख दीजिये।
तीन महीने बाद ढक्कन खोलिये आपको सूजी में कीड़ा मिलेगा।
कहाँ से आया कीड़ा ? उसमे जीव कहाँ से पैदा हो गया ?
डब्बे की पेंदी / सतह (सरफेस) ने को आश्रय दिया अर्थात सूक्ष्म जीवाणुओं को सतह (स्थलमंडल) मिल गया।
कहाँ से आया जीव
जब आपने ढक्कन बंद किया तो डब्बे में हवा भी कैद हो गयी जिससे सूक्ष्म जीवाणुओं को वायु मिल गया।
वायु में वाष्प (water vapour ) होता है जिससे सूक्ष्म जीवाणुओं को जल भी मिल गया।
जब स्थल, जल और वायु तीनो चीज़े एक स्थान में मिल गया तो सूक्ष्म जीवाणु पैदा हो गए और तीन महीने में बड़े होकर कीड़ा बन गए।
इसी प्रकार छोटे बच्चों के पेट में भी कीड़े पैदा हो जाते हैं।
पारितंत्र (Ecosystem) किसे कहते हैं ?
सभी जीव को जीवित रहने के लिए एक दूसरे पर आश्रित होना ही पारितंत्र कहलाता है।
जैसे मरुस्थल में ऊँट बबूल के पत्तों को खता है और बिना पानी के कई दिनों तक रह जाता है।
वह वहां की परिस्थिति के अनुसार अपने आप को ढाल लेता है।
इसी प्रकार गाय घास पर आश्रित रहती है , मनुष्य गाय पर आश्रित रहता है और पेड़ पौधों को गया का गोबर खाद के रूप में मिल जाता है।
मानवीय पर्यावरण
एन सी ई आर टी कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल पाठ १ पर्यावरण
मानव अपने पर्यावरण के साथ पारस्परिक क्रिया करता है।
इसी प्रकार कुछ चीज़ें पर्यावरण में मनुष्य भी निर्मित करता है।
पर्यावरण में अपनी आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करता है।
जैसे शहर का निर्माण करने के लिए जंगलों की कटाई , नदियों पर पुल, रहने के लिए ईमारत,
अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उद्योग, यातायात के लिए सड़कें,
मनोरंजन के लिए पार्क, स्टेडियम, सिनेमा हॉल इत्यादिचीज़ों का निर्माण करता है।
इस प्रकार मानव भी पर्यावरण को प्रभावित करता है।
एन सी ई आर टी कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल पाठ १ पर्यावरण
अभ्यास
१. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
(क) पारितंत्र क्या है ?
उत्तर : सभी जीव को जीवित रहने के लिए एक दूसरे पर आश्रित होना ही पारितंत्र कहलाता है।
जिस प्रकार गाय घास पर आश्रित रहती है , मनुष्य गाय पर आश्रित रहता है और पेड़ पौधों को गाय का गोबर खाद के रूप में मिल जाता है। इसी प्रकार मनुष्य, प्रकृति,और जीव-जंतु एक दूसरे पर आश्रित होते हैं। इसे ही पारितंत्र कहा जाता है।
(ख) प्राकृतिक पर्यावरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : वह सभी प्राकृतिक तत्व प्रत्येक तत्व जैसे- हवा, पानी प्रकाश, भूमि, पेड़, जंगल जिसका उपयोग हम जीवित रहने के लिए करते हैं, प्राकृतिक पर्यावरण कहलाते हैं। धरती पर स्वस्थ जीवन को अस्तित्व में रखने के प्राकृतिक पर्यावरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(ग) पर्यावरण के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर : पर्यावरण के घटक का अर्थ है पर्यावरण को प्रभावित करने वाले कारक। इस प्रकार पर्यावरण के दो महत्वपूर्ण घटक हैं – प्रकृति और मानव।
(घ) मानव निर्मित पर्यावरण के चार उदाहरण दीजिये ?
उत्तर : मानव निर्मित पर्यावरण के चार उदाहरण हैं –
(१) नदियों पर पुल,
(२) रहने के लिए ईमारत,
(३) अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उद्योग,
(४) यातायात के लिए सड़कें, पार्क, स्टेडियम, सिनेमा हॉल इत्यादि
(च) स्थलमंडल क्या है ?
उत्तर : पृथ्वी के ऊपर की ज़मीनी परत को स्थलमंडल कहते हैं। यह मिटटी, चट्टानों और खनिजों से बना होता है। इसके ऊपर मिटटी की एक पतली परत होती है जो खेती के लिए काम आती है। इसी स्थलमंडल के ऊपर पहाड़, पठार, मैदान एवं मरुस्थल पाए जाते हैं। समुद्र के नीचे भी ज़मीन होती है जो स्थलमंडल का ही हिस्सा होती है।
(छ) जीवीय पर्यावरण के दो प्रमुख घटक क्या हैं ?
उत्तर : जीवीय पर्यावरण के दो प्रमुख घटक हैं:
१) पेड़-पौधे
२) जीव-जंतु
(ज) जैव-मंडल क्या है ?
उत्तर : ” पादप एवं जीव-जंतु मिलकर जैवमंडल का निर्माण करते हैं। यह पृथ्वी का वह संकीर्ण क्षेत्र है जहाँ स्थल, जल और वायु मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं। जहाँ पर स्थल, जल एवं वायु मंडल मिलते हैं वहां जीवन (life) पैदा होता है जिसे हम जैवमंडल (Biosphere) कहते हैं।
२. सही उत्तर चिन्हित कीजिए :
क) इनमे से कौन सा प्राकृतिक पारितंत्र नहीं है ?
१ ) मरुस्थल २. ताल ३. वन
ख) इनमे से कौन सा मानवीय पर्यावरण का घटक नहीं है ?
१. स्थल २. धर्म ३. समुदाय
ग) इनमे से कौन सा मानव निर्मित पर्यावरण है ?
१. पहाड़ २. समुद्र ३. सड़क
घ) इनमे से कौन सा पर्यावरण के लिए खतरा है ?
१. पादप वृद्धि २. जनसँख्या वृद्धि ३. फसल वृद्धि
३. निम्नलिखित स्तम्भों को मिलIकर सही जोड़े बनाइये :
क) जैव मंडल पृथ्वी को घेरने वाली वायु की चादर (ख)
ख) वायु मंडल जलीय क्षेत्र (ग)
ग) जल मंडल पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल
घ) पर्यावरण हमारे आस-पास का क्षेत्र (घ)
वह संकीर्ण क्षेत्र जहाँ स्थल, जल एवं वायु पारस्परिक क्रिया करते हैं। (क)
जीवों एवं उनके परिवेश के बीच सम्बन्ध
४. कारण बताइये :
क) मानव अपने परियावरण में परिवर्तन करता है।
उत्तर : मानव अपने पर्यावरण के साथ पारस्परिक क्रिया करता है। उसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन भी करता है। वह अपनी आवश्यकता के लिए फसल उगाता है, नदियों पर पुल बनाता है ,
पशु-पक्षियों को पालता है, एवं उद्योगों की स्थापना करता है। ये सभी मनुष्य को पर्यावरण से प्राप्त नहीं होता, बल्कि वह पर्यावरण में बदलाव करके प्राप्त करता है।
ख) पौधे एवं जीव-जंतु एक दूसरे पर आश्रित हैं।
उत्तर : पौधे एवं जीव जंतु एक दूसरे पर आश्रित है। इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं।
१) पौधे जीव जंतुओं को भोजन तथा आश्रय प्रदान करते हैं। बदले में जीव-जंतु मरने के बाद खाद में परिवर्तित हो कर पौधों को पोषण देते हैं।
२. एक और जहाँ जीव जंतु हरे पौधों को कार्बन डाइऑक्साइड देते हैं वहीँ बदले में पेड़-पौधे जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन देते हैं।
इस प्रकार पौधे एवं जीव जंतु एक दूसरे पर आश्रित है।
एन सी ई आर टी कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल पाठ १ पर्यावरण
हम उम्मीद करते हैं कि यहाँ दिए गए एन सी ई आर टी कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल पाठ १ पर्यावरण पाठ आपको समझ आ गया होगा।
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