बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करें ?
बोर्ड परीक्षा का भय : बच्चों के मन में बोर्ड परीक्षा को लेकर उत्साह और भय दोनों होता है।परीक्षा के दिन नज़दीक आते ही बच्चों में तनाव होना स्वाभाविक है। सही मार्गदर्शन से बच्चों के तनाव को कम किया जा सकता है।https://shapingminds.in/सही-पेरेंटिंग-के-लिए-अपना/ अक्सर हम परीक्षा की तैयारी से पहले की तैयारी करने में चूक जाते है। बिना माइंड मेकअप किये बच्चे परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं। जब परीक्षा का मौसम आता है ,लोग तरह-तरह के सुझाव देने लगते हैं। इससे बच्चों में कन्फ्यूशन की सी स्थिति पैदा हो जाती है। इतने सारे सुझाव ही बच्चों के मन में बोर्ड परीक्षा को लेकर भय पैदा कर देते हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए बच्चों को क्या करना चाहिए ?
१. एक-एक सुझाव पर विचार करें :
शांत मन से एक-एक सुझाव पर विचार करें।
हर कोई जो भी सुझाव देता है वो आपके भले के लिए ही देता है।
लोग अपने अनुभव के आधार पर सुझाव देते हैं। इन्हें बिना चिड़चिड़ाये (IRRITATE) हुए ध्यान से सुनें।
जो सुझाव आपको अच्छे लगे और जिन पे आप अमल कर सकें उन्हें दिमाग में रखें । जो आपको पसंद नहीं आये, उसे दिमाग से बाहर निकाल दें।
दिमाग जितना हल्का होगा उतना ही साफ़ आपको लक्ष्य नज़र आएगा। जब चीज़ें साफ़ दिखेंगी तो भय अपने आप दूर हो जायेगा।
२. भय को हावी न होने दें :
आपको ये पता होना चाहिए कि बोर्ड की परीक्षा देने वाले ना तो आप पहले व्यक्ति हैं और ना ही अंतिम ।
आपसे पहले भी लाखों लोगों ने दिया है और आपके बाद भी लाखों लोग देंगे।
https://shapingminds.in/अपने-अंदर-छुपी-प्रतिभा-को/ आप कोई बहुत बड़ा काम करने नहीं जा रहे हैं और ना ही पहली बार परीक्षा दे रहे हैं।
परीक्षा देकर और उसमे सफल होकर ही आप दसवीं या बारहवीं में पहुँचे हैं।
जिस प्रकार आपने बाकी परीक्षा दी है वैसे ही एक और परीक्षा देनी है।
सिर्फ उन बातों पर विचार करें जो आपके हाथ में है। इस प्रकार भय आप पे हावी नहीं हो पायेगा।
३. दृढ़ निश्चय करें (STRONG DETERMINATION ):
परीक्षा का भय तभी दूर होगा जब आपमें दृढ़ निश्चय हो।
ऐसा कहा जाता है कि “ऊपरवाला जो चाहता है वो होकर ही रहता है।” यहाँ ऊपरवाले का अर्थ लोग भगवान् से लगाते हैं जबकि ऊपरवाला होता है आपका अपना दिमाग।
हम अपने मस्तिष्क में जैसी प्रोग्रामिंग करते हैं हमारा शरीर उसी के अनुरूप काम करता है।
आपने सुना भी होगा कि कई लोगों ने अपने मज़बूत इरादों से गंभीर बिमारियों को भी मात दे दिया। दिमागी रूप से तैयार व्यक्ति को दुनिया की कोई ताक़त डरा नहीं सकती।
भय हमेशा कमज़ोर दिमाग में प्रवेश करता है।
४. कम्पीटीशन अपने आप से करें :
आप ना तो दुनिया में किसी को हराने आये हैं और ना ही कोई आपको हराने आया है।
आप ही अपने कॉम्पिटिटर हैं इसलिए कॉम्पीटिशन अपने आप से कीजिये।
ये प्रयास कीजिये कि क्या आप अपने बेस्ट परफॉरमेंस के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं या नहीं।
https://shapingminds.in/बच्चे-पढाई-में-क्यों-कमज़ो/ दूसरों से कम्पटीशन करनेवालों के हाथ हताशा लगती है। अक्सर दूसरों को पछाड़ने के चक्कर में हम अपना ही समय व्यर्थ गवां देते हैं।
दूसरे बच्चे तो मेहनत कर ही रहे हैं मगर आपको मेहनत करने से किसने रोका है ? क्या आप किसी से कम हैं ? मेहनत इतनी चुप चाप करो कि सफलता शोर मचा दे।
५. अपना पूरा एफर्ट लगाएं ( GIVE YOUR HUNDRED PERCENT) :
अपनी पूरी ताकत लगा दें। एफर्ट में कोई कमी ना रहने दें।
अगर आप दुनिया में सबसे अच्छे नहीं हैं तो आप दुनिया में सबसे खराब भी नहीं है।
If you are not the best in the world, you are not the worst either.
आप अपनी क्षमताओं (potential) औरअपनी सीमाओं (Limitations) को भली भांति पहचानते हैं।
उनके अनुसार ही प्रयत्न कीजिये और समय का पूरा उपयोग कीजिये।
सभी विषयों में कोई भी अच्छा नहीं हो सकता ये बात आपको भी मालूम है।
आप अपना एफर्ट लगाइये, परिणाम की चिंता कभी ना करें।
६. भाग्य के भरोसे ना रहे :
जो लोग भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं उनका भाग्य भी बैठ जाता है।
भाग्य , भगवान् और किस्मत पे वो ज़्यादा विश्वास करते हैं जो कमज़ोर होते हैं।
आप अपने ऊपर विश्वास रखें। भाग्य और भगवान् हमेशा आपके साथ है। आपके द्वारा लगाया गया एफर्ट ही आपको परिणाम देगा। किसी भी परीक्षा में आपकी तैयारी ज़्यादा काम आती है।
रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है “दैव-दैव आलसी पुकारा। “ आलसी लोग ही देवता और भाग्य को पुकारते हैं।
आप पहले से ही ये मान कर चलिए कि भाग्य आपका साथ नहीं देगा।
अगर आप अपनी तैयारी को लेकर कॉंफिडेंट हैं तो बोर्ड परीक्षा का कोई डर नहीं रहेगा।
७. सकारात्मक सोच रखें (POSITIVE THINKING) :
सकारात्मक सोच सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है।
कहते हैं सकारात्मक विचार एंव नकारात्मक विचार बीज की तरह होते है, जिन्हे हम दिमाग रुपी ज़मीन में बोते हैं जो आगे चलकर हमारे दृष्टिकोण एंव व्यवहार रुपी पेड़ का निर्धारण करता हैl
एक तरफ नकारात्मक विचार हमे घोर अंधकार में धकेल सकती हैं, वहीं दूसरी तरफ सकारात्मक सोच हमें असफलता के अंधकार से निकाल सकती हैं l
बोर्ड की परीक्षा के लिए सकारात्मक सोच का होना ज़रूरी है। हमारी सोच ही हमें बनाती और बिगाड़ती है।
ये मान कर चलिए कि जो हो रहा है वो अच्छा हो रहा है और जो होगा वो भी मेरे लिए अच्छा ही होगा।
ऐसी सोच आपको परीक्षा के भय से दूर करेगी। सकारात्मक सोच आपको सकारात्मक परिणाम देगी जबकि नकारात्मक सोच नकारात्मक। मर्ज़ी है आपकी क्योंकि दिमाग है आपका।
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