क्या हमें इनकम टैक्स देना चाहिए ?
क्या होता है इनकम टैक्स ?
इनकम टैक्स (IT) यानी आयकर (Income Tax) हमारी आमदनी पर लगने वाला टैक्स है.
हर साल हमें अपनी आमदनी में से एक निर्धारित हिस्सा केंद्र सरकार को देना पड़ता है.
सरकार की अपनी कोई आमदनी नहीं होती। देश में रहने वाले नागरिक जो कमाते हैं उसमे से कुछ हिस्सा सरकार को टैक्स के रूप में देते हैं।
इससे सरकार के पास पर्याप्त धन राशि जमा हो जाती है।
इस पैसे को सरकार देश के विकास में लगाती है जैसे सड़क, अस्पताल , रेल , विद्यालय इत्यादि। https://shapingminds.in/haathi-ke-daant-…o-fhir-rok-lagao/ . क्या हमें इनकम टैक्स देना चाहिए ?
इस हिसाब से तो सभी को टैक्स देना चाहिए क्योंकि इसके बदले में हमें ही सुविधाएं मिलती हैं। फिर ये प्रश्न क्यों ?
इनकम टैक्स के बदले क्या सुविधाएँ दे रही है सरकार ?
१. सड़क :
देश का हर ज़िम्म्मेदार नागरिक रोड टैक्स देता है और सड़क का इस्तेमाल भी करता है।
मगर देश के अधिकाँश शहरों में आज भी अच्छी सड़क नहीं है। https://shapingminds.in/sadake-bhi-makeup-karti-hain/कुछ सड़कें तो ऐसी हैं जहाँ आपकी जान को खतरा है।
ऐसी सड़कों पे हमारी गाडी खराब हो सकती है, साइलेंसर टूट सकता है , समय दोगुना से तीन गुना लगता है और तो और पेट्रोल का खर्च भी ज़्यादा होता है।
यानि की हम सरकार को टैक्स भी दे और अपने पैसे और वक़्त का नुक्सान भी सहें।
सड़क की खराबी के कारण अगर किसी गाडी को कोई नुक्सान पहुँचता है तो उसकी भरपाई की ज़िम्मेदारी भी सरकार की होनी चाहिए। वर्ना हम बेवजह टैक्स क्यों देते रहे ?
२. सरकारी स्कूल :
आयकर से सरकार देश में जगह जगह स्कूल खोलती है और आयकर देनेवालों के बच्चे प्राइवेट स्कूल में मोटी रकम देकर पढ़ते हैं।
सरकार ने फॉर्मेलिटी के नाम पर स्कूल तो खोल दिया लेकिन न तो वहां ढंग के शिक्षक और न ही ढंग की शिक्षा मिलती है।
गरीब से गरीब भी अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने को मज़बूर है।
आखिर सरकार ने शिक्षा के नाम पर इतने पैसे क्यों बर्बाद किये ? आजतक किसी भी जिले में एक भी ढंग का स्कूल नहीं है ?
आखिर किस बात के लिए हमसे टैक्स के पैसे वसूले आते हैं ?
३. सरकारी अस्पताल :
हमारे टैक्स के पैसे से मिलनेवाली सुविधाओं में सरकारी अस्पताल भी आता है।
आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी जिस प्रकार के अस्पताल सरकार ने जनता के लिए बनाये हैं,
भगवान् न करे किसी को भी ऐसे अस्पताल में जाना पड़े।
सरकारी अस्पताल में सुविधाओं की कमी के कारण लोगों को प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ता है जहाँ मोटी रकम भी देनी होती है।
क्या हम ही इतने बेवकूफ हैं जो सरकार को हर वर्ष टैक्स देते हैं।
अस्पताल के नाम पे हम टैक्स भी दें और इलाज करवाने के लिए प्राइवेट अस्पताल में पैसे भी खर्च करें।
जब हमें ही बेसिक सुविधा नहीं मिलती तो आखिर हमारा पैसा जाता कहाँ है।
४. बिजली :
बचपन से लेकर आजतक हमने हर चुनाव से पहले प्रत्येक राजनैतिक दल के नेता को सड़क, अस्पताल, स्कूल, और बिजली पर बात करते सुना।
मगर आज भी कई ऐसे गॉंव हैं जहाँ लोग जेनरेटर से बिजली खरीद रहे हैं।
अपने घर और दुकानों पर जेनरेटर कनेक्शन लेने पर विवश हैं।
टी.वी पर इन्वर्टर के प्रचार आते हैं और शहरों में रहने वाले लोगों को लोड शेडिंग के कारण अपने अपने घरों में इन्वर्टर रखना पड़ता है।
बिजली के लिए तो हम टैक्स के साथ साथ बिजली के बिल का भी भुगतान कर रहे हैं। आखिर हमारा दिया हुआ टैक्स का पैसा कब हमारे काम आएगा। अगर हमें ही सुविधओं से वंचित रखा जाता है तो फिर टैक्स किस बात का ?
५. सुरक्षा :
भारत में रहने वाला कोई भी नागरिक ये दावे के साथ नहीं कह सकता कि वो सुरक्षित है।
काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, देश में अराजकता फैली हुई है। जगह जगह नारे लगाए जाते हैं।
सड़कों पर आगजनी, आतंकवादी , उग्रवादी , नक्सली और देश विरोधी तत्त्व बढ़ रहे हैं।
लोगों में एक दूसरे के प्रति नफरत की भावना बढ़ रही है।
साथ ही कन्हैया कुमार , ओवेसी और कुछ नेता आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। ऐसे में भला कौन सुरक्षित रह सकता है।
जब सरकार अपने ही नागरिकों को सुरक्षा देने में असमर्थ है तो फिर हम सरकार को पैसे किस बात के लिए देते हैं।
आखिर जाता कहाँ है हमारा पैसा ?
१. चुनाव प्रचार और चुनाव से पहले जनता के पैसे को वोटरों में बांटा जाता है
२. मुफ्त में मोबाइल और लैपटॉप बांटे जाते हैं ,
३. किसानों के ऋण माफ़ किये जाते हैं और
४. नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे अमीरों को बैंक से भारी भरकम लोन दिया जाता है जिसकी वसूली नहीं हो पाती।
५. गरीबों को मुफ्त में अनाज और सब्सिडी के रूप में ना जाने कितनी सुविधाएं दी जाती हैं।
६. सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के नाम पे पैसे अनावश्यक खर्च किये जाते हैं।
७. नेताओं के खाने , घूमने , इलाज ,टेलीफोन , यात्रा , पेट्रोल जैसे कितने खर्चे जनता के पैसे से किये जाते हैं ?
८. इन सबके अलावा नेताओं द्वारा किये गए घोटालों से जनता का पैसा स्विस बैंक की शोभा बढ़ा रहा है।
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