भारत के राष्ट्रीय चिन्ह जो प्रत्येक भारतीय को जानना चाहिए
किसी भी भारतीय को भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अवश्य पता होना चाहिए। राष्ट्रीय चिन्ह किसी भी देश की आन, बान और शान होती है। क्या आपको पता है कि भारत के राष्ट्रिय चिन्ह कितने हैं और कौन-कौन से हैं। सामाजिक विज्ञानं का शिक्षक होने के नाते ये हमारा दायित्व बनता है की इसे हम बच्चों को ज़रूर बताएं। तो आइये भारत के 17 राष्ट्रीय चिन्हों के बारे में जाने।
१. राष्ट्रीय ध्वज NATIONAL FLAG : भारत का राष्ट्रीय चिन्ह
राष्ट्रिय ध्वज भारत के 17 राष्ट्रिय चिन्हों में से एक है।
भारत के राष्ट्रिय ध्वज को तिरंगा भी कहा जाता है।
इसमें तीन रंग केसरिया, सफ़ेद और हरा होने की वजह से ही इसे तिरंगा कहा जाता है।
केसरिया रंग जो कि राष्ट्र ध्वज में सबसे ऊपर होता है – बलिदान का प्रतीक माना जाता है।
सफ़ेद रंग जोकि झंडे के बीचोबीच होता है वह शांति का प्रतीक है।
सबसे नीचे हरा रंग खुशहाली या फिर हरयाली को दर्शाता है।
इस ध्वज के बीचोबीच सफ़ेद पट्टी पर नीले रंग का एक चक्र भी मौजूद है।
चक्र में कुल 24 तीलियाँ मनुष्य के 24 गुणों या फिर दिन के २४ घन्टे का प्रतीक है।
हमारा यह राष्ट्र ध्वज खादी का बना होता है।
राष्ट्रिय ध्वज को फहराने के कुछ नियम होते है जिसका पालन हम सभी को करना चाहिए।
क्या आप जानते हैं भारत का राष्ट्रिय ध्वज किसने डिज़ाइन किया है ?
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२. राष्ट्र गान : NATIONAL ANTHEM
किसी भी देश का राष्ट्रगान उसकी एक विशिष्ट पहचान होता है।
भारत का राष्ट्र गान जन, मन, गण है।
इसे रबीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा है।
यह रबीन्द्रनाथ टैगोर की पुस्तक गीतांजली से लिया गया है।
राष्ट्र गान देश को और देशवासियों को के सूत्र में पिरोने का काम करता है।
इसे राष्ट्रीय पर्व अर्थात स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती समेत अन्य विशेष अवसरों पर गाया या बजाया जाता है।
जब कहीं राष्ट्र गान बजता हुआ सुनाई दे तो हमें सावधान की मुद्रा में (सम्म्मान के निशान) के रूप में खड़ा हो जाना चाहिए।
राष्ट्र गान सिर्फ 52 सेकण्ड्स में पूरा किया जाना चाहिए।
इससे भी जुडी कुछ दिलचस्प बातें हैं जो कि सभी भारतियों को पता होनी चाहिए।
क्या आप जानते हैं गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर दुनिया के एक मात्र ऐसे कवि हैं जिन्हे दो देशों का राष्ट्रगान लिखने का श्रेय जाता है ?
एक देश है भारत। दूसरे देश का नाम कमेंट बॉक्स में लिखें या फिर हमें मेल करें।
राष्ट्रगान के शब्द (LYRICS)
जन, गण, मन, अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा,
द्राविड उत्कल बंग।
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छ्ल जलधि तरंग।
तव शुभ नामें जागे,
तव शुभ आशीष मांगे,
गाहे तवजय गाथा
जन, गण, मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे,
जय, जय, जय, जय है।
३. राष्ट्रीय प्रतीक : NATIONAL EMBLEM
देश का राष्ट्रिय प्रतीक मौर्य सम्राटअशोक द्वारा बनवाये गए अशोक स्तम्भ जो की सारनाथ में स्थित है, से लिया गया है।
हालाँकि, इसमें चार शेर होते हैं मगर हमें तीन ही दिखाई देते हैं जो एक दूसरे की ओर पीठ करके खड़े हैं।
इसके तल पर “सत्य मेव जयते” लिखा हुआ है जिसका अर्थ होता है सत्य की हमेशा विजय होती है।
इसे राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में 26 जनवरी 1950 को शामिल किया गया था।
भारत का राष्ट्रीय प्रतीक वीरता, शौर्य,और आत्मविश्वास की कहानी कहता है।
४. राष्ट्र गीत : NATIONAL SONG – भारत का राष्ट्रीय चिन्ह
भारत का राष्ट्र गीत “वंदे मातरम” है। इसे बंगाल के कवि बंकिम चंद चटर्जीं ने लिखा है।
इसे भी राष्ट्र गान की तरह दर्ज़ा दिया गया है।
बहुत से लोग राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत को एक ही समझने की भूल कर बैठते हैं।
राष्ट्र गीत भी राष्ट्र हित से सम्बंधित कार्यक्रमों में उत्साह से गाया एवं बजाया जाता है।
यह गीत देश वासियों में राष्ट्रीयता की भावना को कूट कूट कर भरने का काम करता है।
राष्ट्रकवि बंकिम चंद चटर्जी ने वनडे मातरम् की रचना 1876 में किया था। इसे दो भाषाओँ में लिखा गया है बांग्ला और संस्कृत।
राष्ट्र गीत “वंदे मातरम” बंकिम चन्द चटर्जी की पुस्तक “आनन्दमठ” से लिया गया है।
क्या आप बता सकते हैं कि देशभक्ति गीत “सारे जहाँ से अच्छा” किसने लिखा है ?
५. राष्ट्रीय पक्षी : NATIONAL BIRD
भारत का राष्ट्रीय पक्षी है मोर। यह अपनी खूबसूरती से सभी का मन मोह लेता है।
आकर में बड़ा और वजन अधिक होने की वजह से यह उड़ नहीं सकता।
यह ज़्यादातर हरे और खूबसूरत चमकीले नीले का होता है।
भारत के पश्चिमी भाग राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरयाणा, गुजरात इत्यादि राज्यों में ये बहुतायत से पाया जाता है।
वैसे तो ज्यादातर मोर जंगलों में पाए जाते हैं लेकिन भोजन की तलाश में ये शहरों में भी आ जाते हैं।
मोर कीड़े, मकोड़े, सांप, बिच्छू के अलावा ज्वार, बाजरा, मकई फल और सब्ज़ी भी बड़े चाव से खाते हैं।
सूखे और गर्म प्रदेशों में होने के कारण मोर बादलों को देखकर बहुत प्रसन्न होते हैं।
जब मोर अपने पंखो को खोलकर फैलाता है और नाचता है तो उसकी खूबसूरती देखते ही बनती है।
शायद इसी वजह से इसे पक्षियों का राजा भी कहा जाता है। भारत सरकार द्वारा 1963 में मोर को राष्ट्रिय पक्षी घोषित किया गया।
क्या आप बता सकते हैं मोर किस हिन्दू देवता की सवारी है ?
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६. राष्ट्रीय पशु : NATIONAL ANIMAL
बाघ को १९७३ में राष्ट्रिय पशु घोषित किया गया।
क्या आपको पता है १९७३ के पहले भारत का राष्ट्रिय पशु क्या था? १९७३ के पहले भारत का राष्ट्रीय पशु शेर (Lion) था।
बाघों की तेज़ी से घटती संख्या की वजह से भारत सरकार ने इसकी संरक्षण के लिए PROJECT TIGER Launch किया ।
उसी वक्त बाघ को राष्ट्रिय पशु भी घोषित किया गया। बाघ पीले रंग का होता है। इसके पूरे शरीर पे काली धारियां बानी होती हैं ।
जो इसे आकर्षक बनाती हैं। बाघ मूलतः एशिया महाद्वीप में ही पाए जाते हैं।
इसके पीले रंग की मोटी और नरम खाल की मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत ज़्यादा है।
इसी वजह से लोग बाघों का अंधाधुंध शिकार करने लगे जिससे इसकी संख्या में तेज़ी से गिरावट होने लगी।
भारत में बाघ मुख्यतः बंगाल के सुंदरवन में पाए जाते हैं।
इसके अलावा,भारत के कई राष्ट्रीय उद्यानों जैसे काज़ीरंगा राष्ट्रिय उद्यान (ASSAM), रणथम्भोर (राजस्थान), कान्हा-किसली (M.P) इत्यादि में भी देखे जा सकते हैं।
अदम्य साहस, धैर्य, चपलता और बहादुरी जैसी खूबियों की वजह से ही इसे भारत सरकार ने राष्ट्रीय पशु घोषित किया।
७. राष्ट्रीय फूल : NATIONAL FLOWER
भारत का राष्ट्रीय फूल कमल है। जैसा कि हम जानते हैं कमल तालाब में अर्थात ठहरे हुए पानी में खिलता है।
कीचड से भरे तालाब में खिलकर भी यह अपने ऊपर कीचड लगने नहीं देता है।
इस प्रकार वह अपनी खासियत बनाये रखता है।
कमल का फूल खूबसूरत होने के साथ साथ बहुगुणी भी है।
इसके फूल का एक एक हिस्सा औषधि बनाने में प्रयोग किया जाता है।
बंगाल और उत्तरी बिहार में इसकी सब्ज़ी भी बनाकर लोग बहुत चाव् से खाते हैं।
हिन्दुओं में धन की देवी लक्ष्मी जी को कमल का फूल बहुत ही भाता है।
अपनी विशिष्ट औषधीय गुणों एवं खूबसूरती के कारण इसे राष्ट्रिय फूल घोषित किया गया।
क्या आप बता सकते हैं कौन सा ड्राई फ्रूट कमल के फूल बे बनता है ?
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८. राष्ट्रीय फल : NATIONAL FRUIT : भारत का राष्ट्रीय चिन्ह
भारत का राष्ट्रीय फल आम है।
आम को फलों का राजा भी कहा जाता है।
हालाँकि यह फल साल भर नहीं मिलता फिर भी इस फल का इंतज़ार सभी को साल भर अवश्य रहता है।
यह गर्मियों के मौसम का फल है। भारत में आम सदियों से होते आये हैं।
यह पूरी तरह से देसी फल है। इसका स्वाद अनोखा होता है।
दिल्ली से लेकर बंगाल तक आम की सैकड़ों प्रजाति (varieties) मिलती हैं।
हालाँकि आम दक्षिण भारत में भी बड़े-बड़े होते हैं लेकिन स्वाद के लिहाज से उत्तर भारत के आम ज्यादा पसंद किये जाते हैं।
अल्फांसो आम जो कि महाराष्ट्र में उगाये जाते हैं, विश्व प्रसिद्द हैं।
इसके अलावा मालदा, बम्बइया, बीजू , चौसा, इत्यादि भी इसके प्रमुख प्रकार हैं।
ऐसा माना जाता है कि मुग़ल बादशाह अकबर को आम बहुत पसंद थे इसलिए उन्होंने बिहार के दरभंगा जिले में १००००० से अधिल आम के पेड़ लगवाए थे।
देसी फल और स्वाद में अनूठा होने की वजह से इसे राष्ट्रीय फल घोषित किया गया।
९. राष्ट्रीय पेड़ : NATIONAL TREE
बरगद का पेड़ विशाल होता है।
इसकी जड़ें बहुत गहरी होती हैं। यह पेड़ तेज़ी से फैलता है।
भारत में इस पेड़ का बहुत अधिक महत्त्व है।
विशाल और घना होने के कारण यह अपने ऊपर और अपनी छाँव में बहुत से पशु और पक्षियों को आश्रय भी देता है।
यह पेड़ दीर्घायू का प्रतीक है। इस पेड़ की एक खासियत यह है कि यह अपनी छाया में किसी भी और पेड़ को पनपने नहीं देता।
गहरी और लगातार फैलती हुई जड़ें अनेकता में एकता को दर्शाती है।
भारत भी विभिन्न धर्मों, भाषाओ, त्योहारों, और जातियों का देश है इसलिए बरगद के पेड़ को राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और राष्ट्रिय पेड़ का दर्ज़ा भी दिया गया है।
१०. राष्ट्रीय खेल : NATIONAL GAME
भारत का राष्ट्रीय खेल है हॉकी। हालाँकि भारत में आजकल क्रिकेट को ज्यादा महत्त्व दिया जाता है।
एक और जहाँ क्रिकेट अमीरों का खेल है वहीँ दूसरी और हॉकी गरीबों का। यह कम खर्च और अधिक मेहनत वाला खेल है।
११ खिलाडियों की एकता, फुर्ती, और तालमेल इस खेल की विशेष पहचान है।
भारत कई वर्षों तक हॉकी में विश्व विजेता रहा है।
ओलिंपिक में 1928 से 1956 तक भारत लगातार हॉकी में विश्व विजेता रहा है।
इसके अलावा १९६४ और १९८० के ओलिंपिक में भी भारत गोल्ड मैडल जीत कर विश्व विजेता रह चुका है।
क्या आपको पता है “हॉकी का जादूगर” किसे कहा जाता है ?
तो फिर आपको ये भी पता होगा की आपको करना क्या है।
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भारत के राष्ट्रीय चिन्ह जो प्रत्येक भारतीय को जानना चाहिए
११. राष्ट्रीय नदी : NATIONAL RIVER
भारत की सभी नदियों में सबसे लम्बी नदी “गंगा” को सन 2008 में राष्ट्रिय नदी घोषित किया गया।
वैसे तो सभी नदियां पवित्र होती हैं लेकिन भारत में गंगा नदी का विशेष महत्त्व है।
हिमालय के ऊपर बर्फ की पहाड़ी “गंगोत्री” से निकल कर बंगाल की खाड़ी में यह नदी विलीन हो जाती है।
ऊपर, हिमालय तक इसके जल में औषधीय गुण पाए जाते हैं।
इसके पश्चात यह नदी प्रदूषित हो जाती है।
हिमालय जो कि भारत का सबसे कमज़ोर पर्वत है इसके ऊपर टेहरी बाँध बनाकर इसके प्रवाह को अवरोधित किये जाने से गंगा कई हिस्सों में सूख गयी है।
गंगा नदी के दोनों तट बहुत ही उपजाऊ हैं। इसी वजह से भारत के उत्तरी मैदान को “भारत का अन्न भण्डार” कहा जाता है।
अगर हम गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करते हैं तो उसकी साफ़-सफाई, देख-भाल की भी ज़िम्मेदारी सरकार और देशवासियों दोनों को लेनी पड़ेगी।
तब जाकर हम दुनिया के सामने गंगा को राष्ट्रीय नदी कहने में गौरवान्वित महसूस कर सकेंगे ।
१२. राष्ट्रीय जलीय जीव : NATIONAL AQUATIC ANIMAL
भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा में पायी जानेवाली “गंगा डॉलफिन” को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया है।
डॉलफिन भारत की कई नदियों के अलावा उड़ीसा के चिलिका lake में भी पायी जाती है।
अपने आकर्षक करतब से ये देखनेवाले का मन मोह लेती है।
सबसे अधिक डॉलफिन चीन में पायी जाती है। इसे human friendly माना जाता है क्योंकि ये लोगों के साथ खेलती है।
क्या आप जानते हैं, डॉलफिन का दिमाग बहुत ही तेज़ होता है। शायद इसलिए रूस डॉल्फिंस का इस्तेमाल काला सागर में दुश्मनों का पता लगाने के लिए भी करता है।
१३. राष्ट्रीय सरीसृप : NATIONAL REPTILE
राष्ट्रीय सरीसृप का अर्थ है राष्ट्रीय रेंगने वाला जीव।
रेंगने वाले जीवों में नाग साँप जिसे हम किंग cobra कहते है उसे राष्ट्रीय सरीसृप घोषित किया गया है।
भगवान शिव के गले में लिपटे होने के कारण भारत में ये जहरीला सांप पूजनीय माना जाता है।
इसकी लम्बाई 19 फ़ीट तक हो सकती है।
यह भारत के जंगलों में बहुतायत से पाया जाता है। cobra एक विषधारक सांप है जो एक बार में 6 mm तक ज़हर उगल सकता है।
यह इतना ज़हरीला होता है कि डसने पर किसी व्यक्ति की मौत मात्र आधे घंटे में हो सकती है।
हालाँकि इसके ज़हर का उपयोग दवाई बनाने में भी किया जाता है।
१४. राष्ट्रीय धरोहर पशु : NATIONAL HERITAGE ANIMAL
हाल ही में हाथी को भारत का राष्ट्रीय धरोहर पशु घोषित किया गया है।
हाथी एशिया एवं अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हाथियों की संख्या लगभग 25000 है।
कई लोग हाथियों को पालते भी हैं।हाथी के दो दांत जो बाहर निकले हुए होते हैं वह बहुत ही कीमती होते हैं।
इसी वजह से हाथियों का शिकार किया जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में हाथियों की संख्या में तेज़ी से गिरावट आया है।
यदि शीघ्र ही इसके शिकार पर प्रतिबन्ध और कड़ी सजा का प्रावधान नहीं किया गया तो वो दिन दूर नहीं जब धरती का यह विशालकाय प्राणी विलुप्त हो जाएगा।
हाथी वैसे तो शांत और समझदार प्राणी है और परिवार के साथ झुण्ड में रहना पसंद करता है ।
लेकिन इसको छेड़ने या परेशान करने पर यह खतरनाक भी हो सकता है।
इसकी तेज़ी से घटती संख्या की वजह से ही इसे राष्ट्रीय धरोहर पशु घोषित किया गया है ताकि इसका संरक्षण किया जा सके।
15. राष्ट्रीय मुद्रा : INDIAN CURRENCY : भारत का राष्ट्रीय चिन्ह
भारत की राष्ट्रीय मुद्रा रुपया है।
यह वर्गाकार होता है।
भारत का एक रुपया १०० पैसों से मिलकर बनता है।
भारतीय रूपये की एक विशिष्ट पहचान है।
एक ओर तो , इस पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का वाटर मार्क लगा होता है
वहीँ दूसरी ओर , महात्मा गाँधी की तस्वीर के बायीं और एक सीधी रेखा दिखाई देती है।
इससे असली रुपया की पहचान होती है।
जालसाज़ी और असली और नकली नोट की पहचान के लिए नोटों पर ये विशेष चिन्ह बनाये जाते हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक नोटों को जारी और नियंत्रित करता है।
अमरीका के १ डॉलर का मूल्य 77. 77 रुपया है। सिक्को में ५० पैसे, १, ५, और १० रूपये का सिक्का बाजार में उपलब्ध है।
इसी प्रकार नोटों में ५, १०, २०, ५०, १००, २००, ५०० और २००० के नोट प्रचलित हैं।
१६. राष्ट्रीय सब्ज़ी : NATIONAL VEGETABLE
शायद आप में से कइयों को ये पता नहीं होगा की कुम्ढा (पम्पकिन) को भारत की राष्ट्रीय सब्ज़ी होने का गौरव प्राप्त है।
वैसे तो , कई जगह इसे कदीमा भी कहा जाता है।
अत्यधिक पौष्टिक होने के साथ साथ ये कई बीमारियों के रोक-थाम में भी मदद करता है।
सुबह-सुबह खली पेट कुम्ढा का रस डायबिटीज एवं ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है।
और तो और, कॉन्स्टिपेशन के मरीज़ों के लिए ये रामबाण का काम करता है।
गाँव देहात में इसे आसानी से उगाया जाता है।
अपनी औषधीय गुणों एवं आसानी से भारत के हर कोने में पाये जाने के कारण इसे राष्ट्रीय सब्ज़ी का दर्ज़ा दिया गया है।
१७. राष्ट्रिय प्रतिज्ञा : NATIONAL PLEDGE
वैसे तो , राष्ट्रीय प्रतिज्ञा देश के प्रति निष्ठां और अपने कर्तव्यों को सही ढंग से पालन करने की शपथ है।
विद्यालयों में प्रतिदिन राष्ट्रीय प्रतिज्ञा बच्चो द्वारा बोला जाता है।
इसके अलावा सभी पाठ्य पुस्तक के शुरू में भी ये प्रतिज्ञा छपी होती है।
मगर क्या आप जानते हैं इस प्रतिज्ञा को सर्व प्रथम किसने लिखा था ?
इसे लिखने का श्रेय जाता है भारत के आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रसिद्द तेलगु साहित्यकार पी वेंकेट सुब्बा राव को।
इस प्रतिज्ञा का भारत के सात भाषाओं में अनुवाद किया गया है ।
वैसे तो , इसे सबसे पहले आंध्र प्रदेश के एक विद्यालय में पढ़ा गया।
इसके पश्चात २६ जनवरी १९६५ से इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया।
भारत की राष्ट्रीय प्रतिज्ञा हिंदी में
भारत हमारा देश है।
हम सब भारतवासी भाई बहन है।
हमें अपना देश प्राणों से प्यारा है।
इसकी समृद्धि एवं विविध संस्कृति पर हमें गर्व है।
हम इसके सुयोग्य अधिकारी बनने का प्रयत्न सदा करते रहेंगे।
हम अपने माता-पिता, शिक्षकों और गुरुजनों का आदर करेंगे और सबके साथ
शिष्टता का व्यवहार करेंगे।
हम अपने देश और देशवासियों के प्रति वफादार रहने की प्रतिज्ञा करते हैं।
उनके कल्याण और समृद्धि में ही हमारा सुख निहित है।
जय हिन्द।
राष्ट्रीय प्रतिज्ञा अंग्रेजी में : NATIONAL PLEDGE IN ENGLISH
India is my country,
All Indians are my brothers and sisters.
I love my country and I am proud of its rich and varied heritage.
I shall always strive to be worthy of it,
/ shall give respect to my parents, teachers, and all elders, and treat everyone with courtesy.
To my country and my people, I pledge my devotion,
In their well-being and prosperity alone, lies my happiness.
Jai Hind.
भारत के राष्ट्रीय चिन्ह जो प्रत्येक भारतीय को जानना चाहिए
निष्कर्ष :
यूं तो राष्ट्रीय चिन्ह किसी भी देश की आन, बान और शान होती है।
वैसे तो, सामाजिक विज्ञान का शिक्षक होने के नाते हमारा ये दायत्व भी बनता है कि इसे हम बच्चों को ज़रूर बताएं।
मगर क्या सिर्फ राष्ट्रीय चिन्हों की घोषणा कर देने मात्र से हमारी ज़िम्मेदारी समाप्त हो जाती है?
आज गंगा नदी दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है ।
बाघ और हाथी गिनती के बचे हैं । बरगद का पेड़ ढूंढने पर नहीं मिलता ।
कोबरा सांप सिर्फ शिव जी के गले की शोभा बढ़ा रहा हैं ।
राष्ट्र गान, राष्ट्र गीत और प्रतिज्ञा जिन्हे राष्ट्रीय चिन्हों में शामिल किया गया है, सिर्फ एक औपचारिकता मात्र बचा हैं।
एक ओर तो , हम नदियों, पेड़-पौधों , जानवरों, एवं प्रकृति की पूजा करते हैं वहीँ दूसरी ओर उन्हें ही अपने हाथों से बर्बाद कर रहे हैं।
इन सभी का संरक्षण आवश्यक है।
समय रहते भारतवासी और भारत सरकार को इसके संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम उठाना पड़ेगा।
वर्ना , वो दिन दूर नहीं जब हमें अपने राष्ट्रीय चिन्हों पर गर्व नहीं शर्मिंदा होना पड़ेगा।
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