पप्पू के महागठबंधन का सपना उस वक़्त लिखा गया अब २०१९ चुनाव में कांग्रेस मोदी सरकार को हारने के लिए महा-गठबंधन करने की तैयारी में लगी थी। पप्पू के महा-गठबंधन की पूरी तैयारी चल रही है। कुछ पार्टी पप्पू के महागठबंधन के साथ थे। कुछ इस महागठबंधन के विरोध में खड़े थे। पप्पू के महागठबंधन के लिए जब लोग बंगाल के मुख्यमंत्री को मानाने गए तो क्या बात हुई। प्रस्तुत है एक छोटा सा नमूना।
शोले फिल्म में जब अमिताभ मौसी को मानाने जाते हैं, उसी दृश्य पर आधारित – पप्पू का महागठबंधन
अरे बेटा , बस इतना समझ लो कि राज्य में कुँवारी मुख्यमंत्री सीने पर पत्थर की सील की तरह होती है। इस बार ममता का चुनाव हो जाये तो चैन कि सांस लूँ ।
हाँ ठीक कहा मौसी आपने , बड़ा बोझ है आप पर।
लेकिन बेटा इस बोझ को कोई कुएं में तो फेंक नहीं देता ना , बुरा नहीं मानना , इतना तो पूछना ही पड़ता है कि लड़के की पार्टी कौन सी है, उसके लक्षण कैसे हैं, कमाता कितना है.
कमाने का तो ये है मौसी ,कि एक बार पार्टी की ज़िम्मेदारी सर पर आ गई तो कमाने भी लगेगा।
तो क्या अभी कुछ भी नहीं कमाता ?
नहीं -नहीं ये मैंने कब कहा मौसी , कमाता है , लेकिन अब रोज़-रोज़ तो आदमी जीत नहीं सकता न , कभी हार भी जाता है बेचारा।
हार जाता है?
हाँ मौसी अब ये चुनाव चीज़ ही ऐसी है कि अब मैं क्या कहूँ।
हैं…. तो क्या नेतागिरी करता है?
पप्पू की तारीफ़ करते हुए ….
छी छी छी छी मौसी , वो और नेतागिरी , ना ना ना ना , वो तो बहुत ही अच्छा और नेक लड़का है,
मगर क्या है मौसी कभी कभी संसद भवन में आँख मार देता है। नादान है बेचारा।
अब एक बार दोस्तों ने उसे चढ़ा दिया तो फिर अच्छे बुरे का होश कहाँ रहता है? अब इसमें बेचारे “पप्पू “भईया का क्या दोष।
ठीक कहते हो बेटा , हारे वो , आँख मारे वो , लेकिन उसका कोई दोष नहीं।
मौसी आप तो मेरे दोस्त को गलत समझ रही हैं। वो तो इतना भोला और सीधा है कि एक बार ममता से उसका गठबंधन कर के तो देखिये , ये नेतागिरी और आँख मारने कि आदत तो दो दिन में छूट जाएगी।
अरे बेटा मुझ बुढ़िया को समझा रहे हो। ये आँख मारने और नेतागिरी करने की आदत किसी की छूटी है भला आजतक।
मौसी आप पप्पू को नहीं जानती , विश्वास कीजिये वो इस तरह का लड़का नहीं है,
एक बार चुनाव हो जाये तो
वो माया और मेहबूबा के घर जाना छोड़ देगा , बस,
आँख मारने की आदत अपने आप छूट जाएगी।
हाय हाय , बस ये ही एक कमी रह गयी थी। तो क्या उसका माया और महबूबा के घर भी आना जाना है ?
तो इसमें कौन सी बुरी बात है मौसी,
अरे गठबंधन करने के लिए तो बड़े बड़े लोग एक दूसरे के घर आया जाया करते हैं…. हाँ
अच्छा , तो बेटा ये भी बताते जाओ कि तुम्हारे ये गुणवान दोस्त किस जाति – धरम के हैं ?
बस मौसी धरम का पता चलते ही हम आपको खबर दे देंगे।
थोड़ी देर सोचकर…..
एक बात की दाद दूँगी बेटा,
भले सौ दोष तुम्हारे दोस्त में हों फिर भी तुम्हारे मुहँ से उसके लिए तारीफ़ ही निकलती है।
अब क्या करूँ मौसी , मज़बूरी भी तो कोई चीज़ होती है। .. तो .. . मैं ये गठबंधन पक्का समझूँ।
क्या , भले सारी ज़िन्दगी लड़की बंगाल में बैठी रहे
मैं ऐसी पार्टी से अपनी बेटी का गठबंधन नहीं करूंगी ,
सगी मौसी हूँ कोई सौतेली माँ नहीं।
अजीब बात है , मेरे इतना समझाने के बाद भी आपने इंकार कर दिया।
बेचारे पप्पू भईया ..वो तो महागठबंधन के सपने देख रहा है.
बहुत ही अच्छे धंग से आपके संवाद को जोड़ा है। पढ़ कर मजा आ गया