वैष्णो देवी

Written By Avinash Sharan

12th May 2019

  वैष्णो देवी की शिक्षाप्रद यात्रा और बच्चों के लिए उसका महत्त्व 

 माता वैष्णव देवी मंदिर तक की यात्रा को देश के सबसे पवित्र और कठिन यात्राओं में से एक माना जाता है। मुश्किलों से भरी इस यात्रा के बावजूद हर साल करीब एक करोड़ श्रद्धालु देश -विदेश से माता वैष्णव देवी के दर्शन करने पहुँचते हैं।

भारत में कुल मिला कर हिन्दुओं के चार धाम या प्रमुख तीर्थस्थल हैं।

पूरब में जगन्नाथ पूरी ,पश्चिम में द्वारका , उत्तर में बद्रीनाथ -केदारनाथ और दक्षिण में रामेश्वरम ।

दूसरे धर्मों को मानने वालों के भी इसी तरह तीर्थ स्थल होते हैं।

मक्का -मदीना , अमृतसर का गुरुद्वारा , येरुसलेम के चर्च आदि उनके पवित्र स्थल हैं जगन्नाथ  मंदिर – कुछ रोचक तथ्य

भारत में तीर्थ स्थलों का महत्त्व:

किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले लोग तीर्थ स्थल या मंदिर जाते हैं।

इसके अनेक फायदे हैं।

माता या अपने परम इष्टदेव के दर्शन तो होते ही  हैं साथ ही साथ

हमें ऐसी चीज़ें देखने और सीखने को मिलती है जो अक्सर हम पुस्तकों के माध्यम से नहीं सीख सकते।

 कुछ वर्षों पहले मुझे वैष्णव देवी जाने का अवसर प्राप्त  हुआ। 

लोग दूर-दूर से आये थे।

चौदह किलोमीटर की चढ़ाई थी।

बच्चे, बूढ़े और जवान सभी में उत्साह था।

हेलीकाप्टर, पालकी और टट्टू जैसी सुविधाओं को छोड़कर लोग पैदल नंगे पांव पहाड़ी रास्ते पर चढ़ाई चढ़ने को तैयार थे।

और उनमे आत्मविश्वास झलक रहा था।

एक बुज़ुर्ग ने कहा सुबह पांच बजे से चढ़ना शुरू करेंगे तो आराम से शाम चार बजे तक वापस आ जायेंगे हिमालय-भारत का सबसे कमज़ोर पर्वत

पहली शिक्षा:   (वैष्णो देवी की शिक्षाप्रद यात्रा)

अपने आराम के क्षेत्र से बाहर निकलो (come out of your comfort zone)


लोग अपनी यात्रा शुरू करते हैं और ज़ोर से “जय माता दी” का नारा लगाकर दूसरों को भी प्रेरित  करते हुए आगे बढ़ते जाते हैं।

बुज़ुर्गों को देखकर जवानों का हौसला बढ़ता है ।

और सभी के मन में ये विश्वास आता है कि  अगर वो कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं अपने अंदर छुपी प्रतिभा को कैसे पहचाने.


दूसरी शिक्षा:  (वैष्णो देवी की शिक्षाप्रद यात्रा)

शिकायत करना या बहाने बनाना बंद कीजिये। (stop complaining, or making excuses)

रास्ते में लोग एक दूसरे को सहारा देते हुए आगे बढ़ते हैं। 

कोई भी ये शिकायत नहीं करता कि रास्ता खराब है।

सरकार  कुछ नहीं करती, खाने- पीने की कोई सुविधा नहीं है, इतनी तेज़ ठण्ड में कैसे जायेगा कोई इत्यादि,,,,।

हर व्यक्ति अपने में मस्त गीत गुनगुनाता हुआ आगे बढ़ता है।

“चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है…. जय माता दी … 


तीसरी शिक्षा:

सबका साथ – सबका विकास   (group dynamism )

पहाड़ी रास्ते पे चढ़ते हुए आप पाएंगे कि कुछ लोग आपसे आगे निकल जाते हैं।

पर आपको उनसे कोई जलन नहीं होती।

कुछ लोगों से आगे आप निकल जाते हैं आपको इस बात का घमंड नहीं होता।

क्योंकि आपको अपने ऊपर ये विश्वास होता है कि सामने वाला जहाँ पहुँचेगा वहां देर-सबेर  मैं भी पहुँच जाऊँगा ।

और मेरे बाद आने वाले भी पहुँच जायेंगे प्राकृतिक चमत्कार : उल्टा जलप्रपात ( REVERSE WATERFALL)   



चौथी शिक्षा: 

किसी से भी ना तो प्रतियोगिता करो ना ही घमंड . अपनी काबलियत और क्षमता पर विश्वास रखो।  (do not try to compete with or defeat anybody. Have faith on God and self ) 

मुझे न तो किसी से आगे निकलना था और ना ही किसी को पछाड़ना था। 

मैं अपनी धुन में आगे बढे जा रहा था।

मैंने देखा कुछ लोग तेज़ी से आगे बढ़ने के बाद रुक जाते हैं। 

दूसरों के आने का इंतज़ार करते हैं।

वो यह समझते हैं कि जो आनंद समूह के साथ बढ़ने में है वो अकेले में नहीं।

पांचवी शिक्षा: 

जो आनंद बांटने में है वो लूटने में नहीं। (live for others not for self and do not expect anything in return)

अर्ध्य कुमारी - वैष्णव देवी विश्राम

         श्रद्धालुओं को पानी बांटने का काम – वैष्णव देवी मार्ग पर

प्रकितिक सौंदर्य का लुत्फ़ उठाते हुए और जगह -जगह कैमरा से तसवीरें लेते हुए हम माता के दरबार की ओर अग्रसर हो रहे थे।

कुछ लोग रास्ते में बैठे गरीबों की मदद करते  जा रहे थे ।

तो कुछ लोग श्रद्धालुओं को पानी पिलाने का काम  ख़ुशी ख़ुशी कर रहे थे।

अद्भुत था वह दृश्य। 

दूसरों की मदद करते हुए आगे बढ़ना, यही तो ज़िन्दगी का लक्ष्य होना चाहिए। 

छठी शिक्षा: 

आत्म विश्लेषण (SELF ANALYSIS)

अर्धकुमारी पहुँचने के बाद लोग थोड़ा सा विश्राम करते हैं।

पहाड़ी से नीचे भी देखते हैं और ऊपर भी।

नीचे  इसलिए ताकि ये पता चल जाये कि  हमने कितनी मेहनत  कर ली है और ऊपर इसलिए ताकि ये समझ आ जाये कि अभी और कितनी मेहनत करना बाकी है।


सातवीं शिक्षा: (वैष्णो देवी की शिक्षाप्रद यात्रा)

कोई भी काम ऐसा नहीं जो मैं नहीं कर सकता चाहे उम्र कुछ भी हो। (no work is impossible at any age.)

लोगों का हुजूम अर्धकुमारी से आगे बढ़ा।

वो ही जोश और वो ही उत्साह।

एक लक्ष्य को साधे हुए सभी मंज़िल की और बढ़ रहे थे।

हर व्यक्ति अनजान मगर एक दूसरे की मदद करने को तत्पर।

ना कोई अमीर ना कोई गरीब।

अगर रास्ते में आपके आत्मविश्वास में ज़रा सी भी कमी आती है या आप हिम्मत हारने लगते हैं तभी आपके बगल से एक अपंग व्यक्ति मुस्कुराता हुआ आपसे आगे बढ़ जाता है।

उसे देख आपका खोया हुआ मनोबल और आत्मविश्वास फिर लौट आता है।


आठवीं शिक्षा: (वैष्णो देवी की शिक्षाप्रद यात्रा)

कमज़ोरी हमेशा आप पे हावी होने का प्रयास करेगी मगर आपका जूनून उसे आप पर हावी होने नहीं देगा।  ( do not get demotivated )

हम अब इतने नज़दीक पहुँच चुके थे कि  वहां से हमें हमारी मंज़िल साफ़ नज़र आ रही थी।

कतार में खड़े लोग और सामने माता की गुफा।

हमारी मेहनत सफल हुई और साथ ही साथ हमारी थकान भी दूर हो गई। 

अगर आप भी कोई नया काम शुरू करने जा रहे हैं या वैष्णव देवी यात्रा की योजना बना रहे हैं तो हो सकता है आपको मेरा ये लेख पसंद आये। 

अपने अनुभव ज़रूर शेयर करें। 

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