मिशन चंद्रयान 2 – एक ऐतिहासिक उड़ान
मिशन चंद्रयान-२ भारत का दूसरा चन्द्र अन्वेषण अभियान है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) ने विकसित किया है। मिशन चंद्रयान 2 को भारत की एक और ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। यह मिशन भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है। अभियान को GSLV 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपित किया गया। इस अभियान में भारत में निर्मित एक चंद्र कक्षयान, एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल हैं। भारत ने चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारतीय समयानुसार दोपहर 02:43 को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया। अगर मिशन चंद्रयान २ सफल होता है तो यह निश्चित ही एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम होगा।
चंद्रयान-2, लैंडर और रोवर चंद्रमा पर 70° दक्षिण के अक्षांश पर स्थित दो क्रेटरों MAJINAS – C और SYMPALIAS N के बीच एक मैदान पर उतरने का प्रयास करेगा। पहिएदार रोवर चन्द्रमा की सतह पर चलेगा तथा वहीं पर विश्लेषण के लिए मिट्टी या चट्टान के नमूनों को एकत्र भी करेगा।
चंद्रयान -1:
- 14 नवंबर 2008 को चंद्र सतह पर उतरा, जिससे भारत चंद्रमा पर अपना झंडा लहराने वाला चौथा देश बन गया।
- USSR, USA और CHINA के बाद, चंद्रमा पर नरम लैंडिंग हासिल करने वाला भारत चौथा देश होगा।
- सफल होने पर, चंद्रयान -2 सबसे दक्षिणी चंद्र लैंडिंग होगा, जिसका लक्ष्य 67 ° S या 70 ° S अक्षांश पर उतरना होगा।
चंद्रयान 2 की विशेषताएँ
- चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर एक Soft लैंडिंग का संचालन करने वाला पहला अंतरिक्ष मिशन है।
- पहला भारतीय मिशन, जो घरेलू तकनीक के साथ चंद्र सतह पर एक soft लैंडिंग का प्रयास करेगा।
- पहला भारतीय मिशन, जो घरेलू तकनीक के साथ चंद्र क्षेत्र का पता लगाने का प्रयास करेगा।
- चौथा देश जो चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
- ऑर्बिटर 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चन्द्रमा की परिक्रमा करेगा.
- उड़ान के समय इसका वजन लगभग 1400 किलो होगा।
- ऑर्बिटर उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरा (Orbiter High Resolution Camera) लैंडर के ऑर्बिटर से अलग होने से पूर्व लैंडिंग साइट की उच्च रिज़ॉल्यूशन तस्वीर देगा।
- भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ संचार करने में सक्षम होगा।
- ऑर्बिटर का मिशन जीवन एक वर्ष है और इसे 100X100 किमी लंबी चंद्र ध्रुवीय कक्ष में रखा जाएगा।
लैंडर
चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ। विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह एक चंद्र दिन के लिए कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो लगभग 14 पृथ्वी दिनों के बराबर है।
चन्द्रयान 2 रोवर
रोवर का वजन 27 किग्रा है । यह सौर ऊर्जा द्वारा संचालित होगा। इसकी इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन क्षमता- 50 W है। चंद्रयान 2 का रोवर प्रज्ञान नाम का 6 पहियों वाला रोबोट वाहन है, जो संस्कृत में ‘ज्ञान’ का अनुवाद करता है। यह 500 मीटर (½-a-km) तक यात्रा कर सकता है। इसके कामकाज के लिए सौर ऊर्जा का लाभ उठाता है। यह केवल लैंडर के साथ संवाद कर सकता है। रोवर चन्द्रमा की सतह पर पहियों के सहारे चलेगा । मिट्टी और चट्टानों के नमूने एकत्र करेगा । उनका रासायनिक विश्लेषण करेगा और डाटा को ऊपर ऑर्बिटर के पास भेज देगा जहां से इसे पृथ्वी के स्टेशन पर भेज दिया जायेगा.
चन्द्रमा के कक्ष में प्रवेश करने की प्रक्रिया सुबह नौ बजकर दो मिनट पर सफलतापूर्वक पूरी हुई । यह पूरी प्रक्रिया 1,738 सेकेंड की थी और इसके साथ ही चंद्रयान2 चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इसके बाद लैंडर ‘विक्रम दो सितंबर को ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा।
चंद्रमा की कक्ष (ऑर्बिट) में पहुंचा चंद्रयान-2, सात सितंबर को होगी लैंडिंग
- चंद्रयान-2 ने गत 14 अगस्त को पृथ्वी की कक्ष से निकलकर चंद्र पथ पर आगे बढ़ना शुरू किया था।
- इसरो का यह अब तक का सबसे जटिल और सबसे प्रतिष्ठित मिशन है।
- यदि सब कुछ सही रहता है तो भारत, चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
यह मिशन भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव तक कोई देश नहीं पहुंचा है।
0 Comments