क्या आपने कभी टी. वी. पर ये कार्यक्रम देखा है जिसमे मैडम को APPLE की स्पेलिंग नहीं आती।
एक दिन मैं अपने घर पर बैठा टी.वी देख रहा था।
अगले ही दिन
हमने एक और पत्रकार भाई साहब https://shapingminds.in/क्या-गणेश-जी-एक-आधुनिक-कंप/ को बिहार के स्कूल के शिक्षक और शिक्षिका से लगभग इसी प्रकार के प्रश्न पूछते हुए देखा.
बेचारे शिक्षक आत्म -ग्लानि से भरे हुए थे जब वे इन आसान से प्रश्नो का जवाब नहीं दे पा रहे थे.
संजोग ऐसा हुआ कि कुछ इसी प्रकार का वीडियो मुझे यू ट्यूब पर भी देखने को मिल गया जिसे लाखों व्यूज मिल चुके थे ,
तब मैंने सोचा कि मुझे भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए ,
मुझे पता नहीं कि पत्रकार भाई साहब की मंशा क्या थी – विद्यालय के शिक्षक शिक्षिका का अपमान करना,
अपनी वाह -वाही लूटना या फिर अपने चैनल की टी आर पी बढ़ाना।
अगर वे शिक्षकों की क़ाबलियत दिखा रहे थे तो फिर वे बेवकूफी कर रहे थे और
अगर देश में शिक्षा का स्तर दिखा रहे थे तो फिर मुझे उनका ये कार्यक्रम अधूरा सा लगा।
भाई साहब, आप दो कदम और बढे होते और ये पता लगाए होते कि
- ये शिक्षक किस विद्यालय से पढाई किये हैं ?
- किस बोर्ड ने इन्हें पास का सर्टिफिकेट दिया ?
- किस यूनिवर्सिटी से इन्हे डिग्री मिली ?
- उस वक़्त राज्य के शिक्षा मंत्री कौन थे ?
- कैसे इन्होने शिक्षक बनने की परीक्षा पास की और
- इनका सिलेक्शन किस आधार पर हुआ ?
पत्रकार भाई-साहब से अनुरोध:
अगर आप गहराई में जाकर छान बीन किये होते तो ये खुलासा होता कि देश में शिक्षा के नाम पर क्या कुछ चल रहा है और
हमारी शिक्षा व्यवस्था आज़ादी के ७० वर्षों के बाद भी कितनी पिछड़ी हुई है।
आपसे निवेदन है कि शिक्षकों का स्तर ऐसा है ये दिखाने की बजाये अगर ये दिखाने का प्रयास करते
कि शिक्षकों का स्तर ऐसा क्यों है तो आपका कार्यक्रम अच्छा लगता
और हम सबको आपकी पत्रकारिता पर नाज़ होता। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि गलती शिक्षकों की नहीं बल्कि
उनकी है जिन्होंने ऐसे लोगों को शिक्षक बनने के काबिल समझा।
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