मेघालय : रैट होल माइनिंग

Written By Avinash Sharan

7th April 2020

मेघालय : रैट होल माइनिंग (RAT HOLE MINING)

RAT HOLE MINING IN MEGHALAYA

  RAT HOLE MINING, मेघालय

क्या आपने मेघालय में कभी “रैट होल माइनिंग” के बारे में सुना है ?  

पूर्वोत्तर राज्यों में दो ही ऐसे राज्य हैं जो खनिज संसाधनों में संपन्न हैं।

वे राज्य हैं असम और मेघालय। https://shapingminds.in/अंडमान-और-निकोबार-द्वीप-स/ मेघालय के :जैन्तिया पहाड़ियों” से अवैध तरीके से कोयला,

निकालने का एक नायाब तरीका है – “रैट होल माइनिंग” (RAT HOLE MINING)

हाल ही में रैट होल कोयला खदान ढहने से 15 मज़दूरोंकी मौत हो गयी।

सरकार द्वारा प्रतिबन्ध के बावजूद मेघालय में रैट होल माइनिंग (RAT HOLE MINING) एक प्रचलित प्रथा बनी हुई है।

क्या है रैट होल माइनिंग (RAT HOLE MINING):

WORKER COMING OUT FROM MINES

   WORKER COMING OUT, मेघालय : रैट होल माइनिंग

जोवाई और चेरापूंजी में कोयले के खनन के लिए एक लम्बी सुरंग बनाई जाती है।

इस सुरंग की ऊँचाई 3 से 4 फुट की होती है।  यह सुरंग क्षैतिज (HORIZONTAL) या खड़ी (VERTICAL) दोनों प्रकार की हो सकती है।

ये सुरंग 200 से 400 फुट गहरी होती है जहाँ पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन भी नहीं मिलता।

इन सुरंगों में मज़दूरों के नाम पर छोटे और दुबले पतले बच्चों का इस्तेमाल किया जाता है।

बच्चे इस सुरंग के अंदर रगड़ खाते  हुए जाते हैं जिससे उनकी पीठ छिल जाती है।

अंदर पहुँच कर ये बच्चे कोयले का खनन करते हैं।  जिसे परिवार वाले बेचकर गुज़ारा करते हैं।

लोग इस प्रकार के खनन के लिए मज़बूर हैं। ये प्रथा कई वर्षों से चली आ रही है।

आखिर क्या है मजबूरी ?

अनुपजाऊ मिटटी की वजह से यहाँ खेती संभव नहीं है।

ऊबड़-खाबड़ और पहाड़ी ज़मीन की वजह से यहाँ उद्योग लगाना भी असंभव है। https://www.downtoearth.org.in/blog/mining/-rat-hole-coal-mining-must-be-discontinued–63253 रोज़गार के अवसर यहाँ नहीं के बराबर है।

कोयला खनन ही एक मात्र जरिया है जिससे परिवार का गुज़ारा होता है।

हालाँकि इसमें खतरा बहुत है , मगर फिर भी लोग इस काम को करने के लिए मज़बूर हैं।

  रैट होल माइनिंग (RAT HOLE MINING) में क्या है खतरा ?

RAT HOLE MINING IN MEGHALAYA

RAT HOLE MINES IN MEGHALAYA.

सुरंग संकरी होने के कारण इसमें प्रवेश और निकासी दोनों में समय लगता है।

ज़मीन से 200 से 400 फ़ीट नीचे जाकर मज़दूरों को काम करना पड़ता है।

कोयले की परत पतली होने के कारण कई बार ढह (COLLAPSE) जाती है।

बरसात के दिनों में पानी सुरंग में चला जाता है जिससे बहार निकलना मुश्किल होता है।

बचाव के लिए इस सुरंग में प्रवेश करना भी कठिन हो जाता है। सुरंग के अंदर कोयले की धूल (COAL DUST) स्वांस सम्बंधित बीमारियों को जन्म देती है।

किसी भी प्रकार के सुरक्षा के उपाय (SAFETY MEASURES) का प्रयोग नहीं किया जाता है।

इन सब कारणों से कोयला खनन के लिए गए मज़दूरों के सर पर हर वक़्त मौत का साया मंडराता रहता है।

क्या है सरकार की मजबूरी :

२०१४ में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने मेघालय में रैट होल माइनिंग पर पूरी तरह से रोक लगाया था।

इस प्रकार की माइनिंग को अवैध भी करार किया गया है।

इन सबके बावजूद यहाँ पर अवैध खनन चल रहा है। मेघालय सरकार केंद्र के इस फैसले से खुश नहीं है।

मेघालय को एक विशेष राज्य का दर्ज़ा मिला हुआ है जिसके तहत माइनिंग सम्बंधित कानून इस राज्य पर लागू नहीं होता।

राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा लगाए रोक को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है।

दरअसल, मेघालय के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में खनन का स्वामित्व स्थानीय आदिवासियों को प्राप्त है।

राज्य सरकार को भी इससे एक मोटी राशि राजस्व के रूप में प्राप्त होती है।

ज्ञांत रहे कि मेघालय का वार्षिक कोयला उत्पादन 6 मिलियन टन है।

रैट होल माइनिंग पर प्रतिबन्ध लगने से राज्य में बेरोज़गारी की समस्या खड़ी हो जाएगी।

पर्यावरण पर प्रभाव :

सड़क के दोनों और कोयले का ढेर लगा रहता है जिससे वायु और जल प्रदूषित होता है।

कोयले में सल्फर की मात्रा अधिक होने की वजह से कॉपीली नदी का जल प्रदूषित https://shapingminds.in/ozone-depletion-…bal-warming-2020/ (अम्लीय ACIDIC) हो गया है।

दिन-रात ट्रकों की आवाजाही से भी वातावरण में प्रदूषण फैलता है।

मेघालय दुनिया में सबसे अधिक वर्षा के लिए भी जाना जाता है।

अत्यधिक वर्षा के कारण सड़क के दोनों और रक्खे कोयले का डस्ट प्रवाहित होकर नदियों को भी  प्रदूषित करता है।

कोयले की गुणवत्ता (QUALITY OF COAL):

भारत में मुख्यतः दो पीरियड में कोयले का निर्माण हुआ।

मेघालय में कोयले की खदाने टर्शियरी पीरियड की  है जो लगभग 15 -60 मिलियन वर्ष पुरानी  है। इसे ब्राउन कोल् भी कहते हैं।

ये घटिया किस्म का कोयला होता है जिसकी वजह से उद्योगों में उपयोग नहीं होता। स्थानीय लोग इसे ईंधन (FUEL) के रूप में उपयोग में लाते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आक्रमण (ATTACK ON SOCIAL ACTIVISTS):

Meghalaya activist Agnes Kharshiing PROTESTING AGAINST ILLEGAL MINING

Meghalaya activist Agnes Kharshiing , मेघालय : रैट होल माइनिंग    

सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अग्नेस खरशिलिंग पर हाल ही में कुछ अज्ञात लोगो ने हमला कर उन्हें घायल कर दिया।
रैट होल माइनिंग क्षेत्र में प्रतिबन्ध के बावजूद कोयला निकला जा रहा था।
  ट्रकों पर लदे कोयले की फोटो खींचते हुए इन्हें कुछ लोगो ने देख लिया और इनकी टैक्सी का पीछा करने लगे।
रास्ते में टैक्सी का रास्ता रोककर इनके ऊपर हमला किया गया।
कोयला माफिआ यहाँ पर बहुत सक्रिय है और इनसे लड़ना इतना आसान नहीं है।
ये दूसरी घटना है जब किसी पर इस प्रकार आक्रमण हुआ है।

निष्कर्ष (CONCLUSION):

मेघालय में अनुमानित 555 मिलियन टन कोयला मात्र ३० KM के दायरे में फैला है।
इसमें कोई शक नहीं कि रैट होल माइनिंग (RAT HOLE MINING) से पैसा और रोज़गार के अवसर यहाँ के स्थानीय लोगों को मिले हैं।
परन्तु  पर्यावरण , मेघालय की संस्कृति और मानवीय मूल्यों का ह्रास भी हुआ है।
मेघालय सरकार ने आश्वासन दिया है कि केंत्रिय पर्यावरण के नियमो और मज़दूरों के हित को ध्यान में रखकर
कोयले खनन का काम किया जाएगा।
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धन्यवाद 

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