टेहरी बाँध: उत्तराखंड के सर पर मौत का खतरा
गंगा (भागीरथी) के ऊपर विश्व के उच्चतम बांधों में से एक है – टेहरी बाँध। दसवीं कक्षा के विद्यार्थी टेहरी बाँध के बारे में पढ़ते हैं। नक़्शे में कहाँ स्थित है उसे भी दर्शाते हैं। मगर यह बाँध उत्तराखंड के लोगों के सर पर खतरा है। दुनिया भर लोगों ने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था लेकिन सरकार की ज़िद के कारण इसे बनाया गया। आखिर क्यों हुआ टेहरी बाँध का विरोध ? क्यों इसे सर पर खतरा कहा जाता है ? क्यों इसके बारे में जानना ज़रूरी है ? इस लेख में हम इसी बात की चर्चा करेंगे / यह लेख न सिर्फ विद्यार्थियों के लिए ज़रूरी है बल्कि सभी भारत के निवासियों के लिए आवश्यक है। https://shapingminds.in/मेघालय-रैट-होल-माइनिंग/ खासकर उत्तराखंड, दिल्ली और उसके आस-पास रहने वालों को हर वक़्त सतर्क रहने की ज़रुरत है क्योंकि टेहरी बाँध है उनके सर पर खतरा।
टेहरी बाँध कहाँ स्थित है ?
टेहरी बाँध उत्तराखंड में भागीरथी नदी के ऊपर स्थित है।
क्या यह दुनिया का सबसे ऊंचा बाँध है ?
नहीं, मगर यह दुनिया के कई उच्चतम बांधों में से एक ज़रूर है।
क्या टेहरी बाँध, भाखड़ा बाँध से भी ऊंचा है ?
भाखरा बाँध की ऊँचाई 226 मीटर (741 फ़ीट) है जबकि टेहरी बाँध की ऊँचाई 260.5 मीटर (855 फ़ीट) है। अर्थात टेहरी बाँध, भारत के भाखरा नांगल बाँध से 29 मीटर (95 फ़ीट) ऊंचा है।
टेहरी बाँध का निर्माण कब हुआ ?
टेहरी बाँध का नक्शा 1972 में ही तैयार हो गया था मगर आर्थिक तंगी और सामाजिक विरोध के कारण इसका काम 2006 में पूरा हुआ।
इस बाँध से हमें क्या लाभ है?
इस बाँध को सिंचाई (IRRIGATION) और जल विद्युत् (HYDRO ELECTRICITY) के उद्देश्य से बनाया गया।
क्यों हुआ इस बाँध का विरोध ?
इसका विरोध इसलिए किया गया क्योंकि
- यह बाँध हिमालय के ऐसे क्षेत्र में है जहाँ आये-दिन भूकंप के झटके आते रहते हैं जिससे बाँध कभी भी टूट सकता है।
The dam is being built in a highly earthquake-prone zone, which the International Commission of Large Dams has declared to be one of the most hazardous sites.
2. इस बाँध का नक्शा जब 1960 में बनाया गया था उस वक़्त हिमालय में भूकंप की जानकारी बहुत ही सीमित थी। पुराना नक्शा होने के कारण कई लोग इसे outdated मानते हैं।
The dam’s design is technically outdated since it was conceived in the 1940s and designed in the 50s and 60s when the available seismic information was limited.
3. कई वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय एक नया एवं कमज़ोर पहाड़ है हिमालय-भारत का सबसे कमज़ोर पर्वत जिसपर इतना ऊंचा बाँध बनाना और इतना अधिक पानी को रोकना खतरनाक हो सकता है।
The Himalayas are a very young and fragile mountain range. Scientists have expressed doubts about the Himalayan mountainside’s ability to hold such a mammoth structure.
4. जहाँ से गंगा निकलती है वहां गंगा का जल न सिर्फ साफ़ है बल्कि medicinal भी है। ऐसे में गंगा के श्रोत के पास बाँध बनाना गंगा के जल को प्रदूषित कर सकता है.
Building of this dam will kill Ganga. Its water will lose the quality if it is dammed so close to its source.
5. इस प्रोजेक्ट पर लागत 1972 में 197 करोड़ का था जो कि विलम्ब होने के कारण 1992 में 5500 करोड़ का हो गया। एक बाँध के लिए इतना पैसा लगाना कोई बुद्धिमानी नहीं थी।
From 197 crores in 1972 to nearly 5500 crores at 1992 and the life span of the dam is expected to be not more than 30-40 years. This, too, makes the dam uneconomical.
6. इस बाँध को बनाने के लिए 45 sq km के जंगल काटे गए जिसकी वजह से ज़मीन खिसकने (landslide) की सम्भावना और अधिक बढ़ गयी है।
Deforestation in 45 Sq. Km area has made this region vulnerable to Landslides.
7. बाँध के पीछे इतना अधिक पानी जमा होगा जिससे 40 गाँव की ज़मीन पानी में डूबी रहेगी और लगभग 33000 लोगों को वहां से विस्थापित किया जाएगा।
People of 40 villages have been shifted far off from Tehri. All these villages will be under water after the construction of Tehri dam.
8. इस प्रोजेक्ट में बहुत सारे भ्रष्ट अधिकारी और नेताओ के शामिल होने की वजह से बाँध के construction में poor quality का सामान इस्तेमाल किया गया है।
Serious allegations of corruption resulting in the use of substandard materials, making the dam even more unsafe.
9. टेहरी के लोगों से ज़मीन के बदले मुफ्त बिजली देने का वादा किया गया था.
लेकिन उन्हें बिजली तो दूर, आजतक ठीक तरह से स्थापित तक नहीं किया गया।
10. पिछले 37 साल से लोग सरकारी ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं।
The Tehri dam planners have made no provision to provide water and electricity to surrounding Himalayan villages.
People who have given their land for the construction of the Tehri dam are still making rounds of govt offices.
किसने किया विरोध ?
निष्कर्ष
इस प्रकार टेहरी बाँध का काम तो 2008 में पूरा हो गया ।
मगर उत्तराखंड के लोगों के सर पर हर वक़्त मौत का खतरा बना हुआ है।
भूकंप के एक झटके से भूकंप के एक झटके से किसी भी दिन ये बाँध टूट सकता है।
जिस दिन ये बाँध टूटेगा, उस दिन दुनिया की कोई भी ताकत तबाही को रोकने में कामयाब नहीं होगी।
दिल्ली, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में रहने वाले लाखों लोगों का मौत से सीधा सामना होगा।
टेहरी बाँध सरकार के ज़िद और भ्रष्टाचार का एक जीता जागता उदाहरण है।
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