बच्चे पढाई में क्यों कमज़ोर होते हैं ?
बच्चे पढाई में क्यों कमज़ोर होते हैं ? अंग्रेजी में एक कहावत है “ ALL CHILDREN ARE BORN ALIKE, IT’S THE ENVIRONMENT THAT MAKES THE DIFFERENCE.”
यहाँ समझने वाली बात यह है कि जब सभी बच्चे इंटेलिजेंट पैदा होते हैं तो कब और कैसे वे धीरे धीरे कमज़ोर होने लगते हैं और पेरेंट्स को पता भी नहीं लगता। आखिर कौन से ऐसे कारण हैं जो बच्चों को पढाई में कमज़ोर बनाते हैं।
१. पढाई के महत्व का पता न होना :
हमारे देश के अधिकांश विद्यालयों में और घरों में ये तो बताया जाता है कि पढ़ना बहुत ज़रूरी है मगर ये नहीं बताया जाता कि पढ़ना क्यों ज़रूरी है।
बच्चों को ये नहीं पता होता कि पढ़कर हम आखिर ऐसा क्या कर लेंगे जो एक बिना पढ़ा-लिखा व्यक्ति नहीं कर सकता। बच्चे कई ऐसे लोगों से इंस्पायर होते हैं जो कम पढ़े होते हैं मगर बहुत सफल होते हैं।
उनके दिमाग में ये बात बैठ जाती है कि सफल होने के लिए पढ़ना ज़रूरी नहीं होता है।
२. बार बार पढ़ने के लिए कहना:
अक्सर ये गलती माँ के द्वारा की जाती है। जब उनके पास बहुत काम होता है या कोई काम नहीं होता, या उनको टी.वी . देखना होता है या फिर आराम करना होता है,
तो ऐसी स्थिति में वो अपने बच्चे को प्रतिदिन एक ही बात कहती है ” जाओ तुम अपनी पढाई करो “. रोज़ एक ही बात बार बार दोहराने से बच्चे आपकी बात को महत्व नहीं देते और बच्चे को पढाई शब्द से नफरत हो जाती है।
३. हमेशा बच्चों की तुलना करना :
बार बार बच्चों की तुलना उसके भाई से या बहन से या फिर किसी रिश्तेदार या पडोसी के बच्चे से करने पर बच्चे के मन में हीन भावना पैदा हो जाती है।
अक्सर माँ-बाप ही बच्चे के मन में ऐसी भावना जाने – अनजाने में पैदा कर देते हैं जिससे उसका मन पढाई से ही उचट जाता है।
४. बच्चे को पिछले खराब परफॉरमेंस की याद दिलाना :
पेरेंट्स द्वारा की जानेवाली गलतियों में से एक गलती ये भी है कि हम हमेशा बच्चे को उसके खराब आये नंबर या फिर उसके खराब परफॉरमेंस की याद दिलाते हैं
जिससे बच्चे का मनोबल और आत्मविश्वास घट जाता है और वह चाह कर भी अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाता।
ऐसी बातें बच्चों के दिमाग में हेडलाइंस की तरह छप जाती हैं और लगातार उन्हें कमज़ोर बनाती हैं।
५. खराब अंक आने पर डांटना या मारना :
अच्छे या अधिक अंक के लिए डांटना या मारना कोई समाधान नहीं है।
अगर ऐसा होता तो सभी बच्चे पढाई में अच्छे हो जाते। क्योंकि हर कोई अपने बच्चे को मार-पीट सकता है।
पता नहीं हम जान बूझकर ऐसी बेवकूफी क्यों करते हैं ? क्या आपने अपने बच्चो को मार मार कर चलना सिखाया ?
क्या उसे मार मार कर बोलना सिखाया ? अगर नहीं तो फिर आज ऐसी बेवकूफी क्यों.?
डाँट या मार पड़ने के डर से बच्चा झूठ बोलना या फिर बहाने बनाना तो सीख जायेगा। मगर पढाई में कभी भी अच्छा नहीं बन पायेगा।
६. बच्चो के सामने अपनी शेखी बघारना :
इन बातों का बच्ची के ऊपर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि बच्चा ये जानता है कि आप उसे एक घंटे भी नहीं पढ़ा पाते।
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७. ट्वीशन लगाकर अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाना :
आजकल की व्यस्त भरी ज़िन्दगी में पेरेंट्स के पास अपने ही बच्चे के लिए समय नहीं होता।
उनके लिए आसान है ट्वीशन टीचर के लिए महीने का हज़ार रुपया निलकाना और अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना।
बच्चे बचपन से ही दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं और खुद से मेहनत करना नहीं सीख पाते।
८. हमेशा अच्छे अंक को ही महत्व देना :
पेरेंट्स और टीचर्स अक्सर अच्छे अंक को ही महत्व देते हैं।
यहाँ ये समझना बेहद ज़रूरी है कि अच्छे अंक मतलब इंटेलीजेंट और खराब अंक यानी बेवकूफ नहीं होता है।
हाँ ,ये अवश्य है कि बच्चे को अच्छे अंक लाने के लिए प्रोत्साहित ज़रूर करना चाहिए
मगर अच्छे अंक के लिए उसपर दबाव बिलकुल भी नहीं डालना चाहिए।
https://shapingminds.in/तमसो-माँ-ज्योतिर्गमय/ इस दबाव की वजह से बच्चे अच्छे अंक के चक्कर में परीक्षा में चोरी करना तो सीख जाते हैं मगर समझकर पढाई करना कभी भी सीख नहीं पाते।
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